मेरठ: यह मामला सुनकर आप भी हैरत में पड़ जाएंगे की 11 रुपए गबन मामले में एक नर्स को सौ रूपये का जुर्माना व एक वर्ष की कारावास की सजा सुनाई गई है. यह मामला एटा का है. कोर्ट के द्वारा नर्स को नसबंदी रैकेट में शामिल होने और 11 रुपए का गबन करने की सजा से दंडित किया गया है,
कोर्ट ने इसके लिए अस्पताल के कर्मचारी को भी दोषी मानकर उसे भी इसी सजा से दंडित किया है. साल 1989 में एटा में नसबंदी का एक शिविर चलाया गया था जिसमे लक्ष्य रखा गया था की 4600 पुरुष-महिलाओं की सालाना नसबंधी की जाए.
इसमें सरकार ने 181 रुपए देने का वादा किया था. इसमें 135 रुपए नसबंदी करवाने वाले व्यक्ति को, 40 रुपए उसे प्रोत्साहित करने वाले को 4 सर्जन को और 2 स्वास्थ्य विभाग और सफाई कर्मचारी के बीच बराबरी से बांटा जाता था। इसी मामले में कैंप में 12 लोगों ने नसबंदी के लिए पंजीकरण करवाया था. उस दौरान कासगंज के तत्कालीन एमएलए ने 1 मार्च 1990 में आरोप लगाया कि मेडिकल स्टाफ ने फर्जी आंकड़े दिखाकर रुपयों का गबन किया।
इस पर विजिलेंस डिपार्टमेंट ने जांच दल को बैठाया. तकरीबन सात-आठ वर्षो तक चली इस जाँच प्रक्रिया में 12 में से 11 केस फर्जी पाए गए. इस मामले में मेरठ की स्पेशल कोर्ट ने अपने फैसले के तहत नूरजहां और शोबराम को दोषी पाया.