राष्ट्र गान से 'सिंध' शब्द हटाने का प्रस्ताव संसद में रखा
राष्ट्र गान से 'सिंध' शब्द हटाने का प्रस्ताव संसद में रखा
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नई दिल्ली : देश भक्ति के साथ गाए जाने वाले 'जन गण मन' वाले राष्ट्र गान में बदलाव की माँग उठी है.कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा ने शुक्रवार को राज्यसभा में राष्ट्र गान को लेकर एक संशोधन की मांग करते हुए प्रस्ताव पेश करते हुए राष्ट्रगान से सिंध शब्द को हटाकर इसमें 'उत्तर पूर्व' शब्द जोड़े जाने की मांग की है.

बता दें कि कांग्रेस सांसद रिपुन बोरा का तर्क था कि सिंध शब्द आज भी राष्ट्रीय गान का हिस्सा है, लेकिन अब देश का हिस्सा नहीं है. अब यह उस पाकिस्तान के दायरे में आता है इसलिए इस शब्द को हटाकर उत्तर -पूर्व शब्द जोड़ा जाना चाहिए .उत्तर -पूर्व भारत का मुख्य हिस्सा है इसलिए भारतीय संविधान की तरह अब राष्ट्रगान में भी संशोधन किया जाना चाहिए. रिपुन बोरा के प्रस्ताव में लिखा देश के पूर्व राष्ट्रपति राजेंद्र प्रसाद ने 24 जनवरी, 1950 में कुछ शब्द और एक संगीत सदन में पेश किया था, जिसे राष्ट्रगान कहा गया. लेकिन वक्त के साथ हालात और नक्शा दोनों बदल गए हैं, इसलिए अब राष्ट्रगान में संशोधन करने की जरूरत है. बोरा ने इस विषय में अन्य दलों के सांसदों से भी समर्थन करने की अपील की है.

बता दें कि शिवसेना के सांसद अरविंद सावंत ने भी वर्ष 2016 में इसी तरह की मांग उठाई थी. गौरतलब है कि रवीद्रनाथ टैगोर ने भारत के राष्ट्रगान को 11 दिसंबर 1911 में लिखा था. इसे पहली बार कांग्रेस के 27वें वार्षिक अधिवेशन में कलकत्ता में गाया था. टैगोर ने मूल गीत की रचना बांग्ला भाषा में की थी. मूल गीत में पांच पैरा हैं ,जिनमें से पहले पैरा को ही भारत के राष्ट्रगान के तौर पर अपनाया गया है.

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