रूप है तेरा एक किसी ने समझा जगत पिता, तो किसे ने पैर का जूता
रूप है तेरा एक किसी ने समझा जगत पिता, तो किसे ने पैर का जूता
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एक ट्रक में मारबल जा रहा था। उसमें एक भगवान की मूर्ति, और चकोर टाइल्स साथ- साथ जा रही थी। रास्ते में आपस में टकराते हुए टाइल्स ने भगवान् की मूर्ति से कहा भाई उपर वाले के द्वारा हम दोनों के साथ यह भेदभाव क्यों? कैसा भेदभाव? भाई तुम भी पत्थर, मैं भी पत्थर, तुम भी उसी खान से निकले जिससे मैं निकला, तुम उसी के द्वारा बेचे और खरीदें गये जिनके द्वारा मैं तुम भी उसी ट्रक में जा रहे हो जिसमें मैं.

तुम भी उसी मंदिर में लगाए जाओगे जिसमें मैं, लेकिन मेरे भाई तेरी तो पूजा होगी, और मैं पावं तले कुचला जाऊँगा। यह भेदभाव आखिर क्यों? सुनो, जब हमें छेनी-हथोड़े से तराशा जा रहा था, तब तुम चोट बरदाश्त नहीं कर सके और टूट गये। मैं चोट को बरदाश्त करता गया। कभी आखँ बनी, कभी नाक बनी, कभी पैर बने, कभी हाथ।

ऐसी लाखों करोड़ों चोटें सहन की मैंने। चोट सहते-सहते मेरा रूप निखर गया और मैं पूजनीय हो गया। तुम सह नहीं सके और खंडित हो गये। तुम्हारे छोटे-छोटे टुकड़े हो गये और तुम कुचलनीय हो गये मित्रों, कितनी भी खराब परिस्थिति आए टूटना नहीं, अपनी चाल चलते जाना तेज धीरे या बहुत धीरे बस रुकना नहीं टूटना नहीं हिम्मत मत हारना परमात्मा सब संभाल लेगा

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