नई दिल्लीः केंद्र की मोदी सरकार देश की लचर अर्थव्यवस्था को लेकर विपक्ष के निशाने पर है। मंदी के कारण देश की कई कंरनियों ने उत्पादन को निलंबित कर दिया है। जिससे भारी पैमाने पर छंटनी हुई है। हालांकि सत्ता पक्ष देश में किसी तरह की मंदी से इनकार कर रहा है। नीति आयोग के मुख्य कार्यकारी अधिकारी (सीईओ) अमिताभ कांत ने भी इस मुद्दे पर सरकार का बचाव करते हुए कहा कि सरकार इससे निपटने के लिए हर संभव कोशिश कर रही है। वह ऑल इंडिया मैनेजमेंट एसोसिएशन के एक कार्यक्रम में बोल रहे थे।
कांत ने कहा कि, अगर आप बीते पांच सालों को देखेंगे तो भारत की आर्थिक वृद्धि दर औसतन करीब 7.5 फीसद थी, चालू वित्त वर्ष की पहली तिमाही में यह गिरकर 5 फीसद पर आ गई है। सरकार और भारतीय रिजर्व बैंक दोनों इस दिशा में काम कर रहे है।' उन्होंने कहा, 'हमें यह सोचना है कि ऊंची आर्थिक वृद्धि दर हासिल करने के लिए हमें किस तरह के नयापन की जरूरत है।
दरअसल आर्थिक वृद्धि दर को पटरी पर लाने के लिए रिजर्व बैंक रेपो दर में 1.10 फीसद की कटौती कर चुका है, जबकि सरकार ने तीन बार अलग-अलग प्रेस कांफ्रेंस करके इसके उपायों की घोषणा की है। उन्होंने कहा कि यह काम आगे भी चलता रहेगा। नीति आयोग के सीईओ ने कहा कि सरकार सक्रिय है, भारतीय अर्थव्यवस्था के बुनियादी कारक मजबूत हैं और हम भारत को उच्च आर्थिक वृद्धि दर के रास्ते पर ले जाने के लिए जरूरी कदम उठाना जारी रखेंगे। सरकार ने कई क्षेत्रों को विदेशी निवेश के लिए खोल दिया है।
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