पिछले साल से ही देश के आर्थिक परिदृश्य में जिस तरह के हालात बने, उन हालातों के चलते रूपए का मूल्य डाॅलर की तुलना में काफी कम हो गया। 1 डाॅलर 60 रूपए की कीमत से भी अधिक का होकर रह गया, सरकार ने इस स्थिति से निपटने के लिए विदेशों से स्वर्ण को आयात करने को हतोत्साहित किया, और ऐसी परिस्थितियां निर्मित हुईं कि भारतीय बाजार में भी लोग सोना खरीदने को लेकर अधिक उत्साहित नहीं दिखाई दिए। यह ऐसा दौर था जब सराफा व्यापारी अपने कारोबार की मंदी के बोझ के तले प्रतिष्ठानों पर खाली बैठने को मजबूर थे।
मगर केंद्र में सत्ता परिवर्तन के साथ नीति परिवर्तन भी हुआ और अब सरकार एक नई योजना बनाने जा रही है। इस योजना को स्वर्ण मौद्रिकरण योजना कहा गया है। हालांकि प्रारंभिकतौर पर तो स्वर्ण का आभूषणों के तौर पर उपभोग करने वाले ग्राहकों को इस तरह की योजना कुछ अटपटी जान पड़ सकती है लेकिन इस तरह की योजना से उनके स्वर्ण आभूषणों को सुरक्षित तरीके से रखा जाना आसान होगा। दूसरी ओर सरकार के लिए भी रूपए के बढ़ते अवमूल्यन को नियंत्रित करने में मदद मिलेगी।
सरकार इस तरह की योजना से जहां घरों में वर्षों से बेकार पड़े सोने का वाजिब उपयोग करने जा रही है वहीं उसे स्वर्ण भंडार के माध्यम से विदेशी पूंजी के मूल्य को संतुलित करने का विकल्प मिल गया है।सरकार जहां बिस्किट, आभूषणों आदि के रूप में लगभग 30 ग्राम सोने को इस योजना में ले सकेगी। जिसके तहत एक वर्ष की अवधि में उपभोक्ता को 1 प्रतिशत की दर से ब्याज दिया जा सकेगा। नियत अवधि के बाद उपभोक्ता को मूलधन और ब्याज दोनों की वापसी हो सकेगी।
आभूषणों के ऐवज में सरकार स्वर्ण जमाकर्ता को एक सर्टिफिकेट जारी करेगी। हालांकि उपभोक्ताओं को फिर से वही सोना नहीं मिल सकेगा लेकिन उनके सोने की जांच 350 हाॅलमार्किंग केंद्रों में होने से बाजार में शुद्ध आभूषणों को खरीदने का चलन विकसित होगा। उल्लेखनीय है कि भारत सोने का एक बड़ा आयातक देश है। देश को विभिन्न आवश्यकताओं और अपने घरेलू बाजार के लिए बड़े पैमाने पर सोना खरीदना पड़ता है। अनुमान के अनुसार देश में प्रतिवर्ष 800 से 1000 टन सोने का आयात किया जाता है।
इसके लिए देश की आय का एक बड़ा भाग वहन करना पड़ता है। चूंकि सोना खदानों से प्राप्त किया जाता है जिसके चलते भारत को इसका आयात करना होता है। प्रतिवर्ष जीडीपी का लगभग 3 प्रतिशत हिस्सा सोने के आयात पर खर्च करना पड़ता है। इस कारण सोने को उपलब्ध करवाने के लिए देश की आय का बड़ा भाग सोने के भंडार का आयात करने पर हो जाता है।
सोने के आयात के माध्यम से विदेशी पूंजी जुटाई जाती है लेकिन जीडीपी का एक बड़ा भाग सोने के आयात पर खर्च किए जाने के कारण आम जनता पर इसका बोझ पड़ना स्वाभाविक है। तो दूसरी ओर रूपए का मूल्य डाॅलर की तुलना में काफी निचले पायदान पर जाने से देश को मौद्रिक संकट झेलना पड़ता है। मगर अब सरकार द्वारा स्वर्ण मौद्रिकरण नीति तैयार किए जाने के बाद घरेलू सोने का उपयोग होगा तो दूसरी ओर उपभोक्ता अपने सोने पर ब्याज प्राप्त कर लाभ पा सकेंगे।