आतंक के विनाश से चिनाब की शाखों पर फिर होगा पंछियों का बसेरा!
आतंक के विनाश से चिनाब की शाखों पर फिर होगा पंछियों का बसेरा!
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पेरिस की शानदार चमचमाती सड़क, लोग अपनी मस्ती में खोए हुए। कुछ फुटबाॅल मैच का आनंद ले रहे थे तो कुछ रेस्टोरेंट में डिनर करने की तैयारी में थे। सड़कों पर वाहन रोज़ की तरह दौड़ रहे थे। अचानक रात 9 बजे के आसपास पेरिस दहल उठा। चलते हुए वाहन कुछ रूके और वाहनों से लोग निकलकर यहां-वहां सुरक्षित स्थानों की टोह लेने लगे। स्टेडियम में फुटबाॅल खेलने वालों की गति कुछ रूक गई। आखिर यह क्या हुआ। ओह् यह तो धमाका है। आतंकी हमला। यह कैसे हो गया। हर कहीं क्षतविक्षत शव बिखरे हुए थे।

बदहवास लोग बस दौड़ रहे थे। चीख  पुकारों का दौर मच गया। किसी को भी कुछ भी समझ नहीं आ रहा था। आखिर यह क्या है। अमेरिका में 9/11 का दंश और इंग्लैंड में वर्षों पूर्व हुए धमाकों की भयावहता दूर ही नहीं हुई थी कि पेरिस के हमले से लोगों के रोंगटे खड़े हो गए। भारत में जब इस बात की सूचना फैली तो लोग दुखी हो गए। मगर भारत के लोगों की आतंकवाद को लेकर कुछ अलग प्रतिक्रिया रही। यहां के बाशिंदों ने इन हमलों पर दुख जताया। प्रभावितों के प्रति उनमें सांत्वना रही।

मगर वे इन हमलों से अपरिचित नहीं थे। कुछ ने तो यह तक कहा कि ऐसे ही हमले मुंबई में 26/11 को हुए थे। आंतकी धड़धड़ाते हुए बंदूकें लेकर सीएसटी से निकले थे। उन्हें वह खौफनाक मंज़र याद हो आया। साथ ही याद हो आईं भारत की सरज़मीं पर की जाने वाली आतंक की नापाक हरकतें। चिनाब के पेड़ों पर पंछियों की चहचहाट और कश्मीर में बर्फ की बिछी सफेद चादर अमूमन पुरानी हिंदी फिल्मों में देखने को मिलती थीं। मगर अब कश्मीर की वादियों के दृश्य कम ही देखने को मिलते हैं।

पर्यटक भी पटनीटाॅप, राजौरी, किश्तवाड़, डोडा आदि क्षेत्रों में जाने से बचते हैं इसके बजाय वे मनाली, देहरादून जाना पसंद करते हैं। दरअसल कश्मीर में बिछी सफेद चादर कब उनके लिए धधकते अंगारों के साथ मौत बन जाए इसका अंदाज़ा कोई नहीं लगा सकता। यहां की डल झील में पानी पर बहता शिकारा देखने का मन तो उनका भी बहुत करता है लेकिन आतंक की आग उन्हें बर्फीलीवादियों में जाने से रोकती है।

अपने विलय के बाद से ही जम्मू - कश्मीर का दुर्भाग्य रहा है कि विशेष राज्य के नाम पर उसका रेग्युलेशन अलग तरह से किया जाता है। मगर कश्मीर का यह आतंक धीरे - धीरे घाटी की वादियों से नीचे उतरकर पूरे देश में फैल गया। सिमी, लश्कर - ए - तैयबा, जैश - ए मोहम्मद, इंडियन मुजाहिदीन के तौर पर यह आतंक वादियों से बेंगलुरू, मुंबई, पुणे होते हुए देश के कई क्षेत्रों में पहुंच गया। इस आतंक ने कब इस्लामिक स्टेट आॅफ इराक का चोला पहन लिया यह खुद वे भारतीय भी नहीं बता सकेंगे जो आतंक के दंश को प्रत्यक्षतौर पर अनुभव कर चुके हैं। 

जब भारत ने पाकिस्तान समर्थित इस्लामिक आतंकवाद के खिलाफ विश्व मंच पर आवाज़ उठाना शुरू की तो भारत के इस स्वर को अनसुना कर दिया गया। इसे काश्मीर मसले से जोड़कर अंतर्राष्ट्रीय मसला मानने से इंकार कर दिया गया लेकिन बेहद आश्चर्यजनक ढंक से अलकायदा के प्रमुख ओसामा बिन लादेन अमेरिका के लिए खतरा बन गया। वल्र्ड ट्रेड सेंटर की ईमारत में दो विमान क्रेश करवा देने के बाद तो जैसे लादेन आतंक का पर्याय ही हो गया। विश्व समुदाय का ध्यान इस ओर गया और अमेरिकी सेनाओं ने अफगानिस्तान पर धावा बोला। 

अफगानिस्तान में लादेन की खोज हुई मगर अंततः वह मिला पाकिस्तान में ही। ऐसे में भारत के इस दावे को झुठलाया नहीं जा सका कि पाकिस्तान आतंकवाद का पौषक देश है। फिर अब पेरिस में हुए श्रृंखलाबद्ध धमाकों ने विश्व जगत का ध्यान अपनी ओर खींचा है। हालांकि इसे रूस, अमेरिका और अन्य देशों द्वारा सीरिया में आईएस के ठिकानों पर की जाने वाली कार्रवाई का जवाब कहा जा रहा है मगर विश्व समुदाय ने यह माना कि अब आतंक की कोई जाति नहीं रही और न ही आतंक का धर्म रहा।

जिस तरह से सीरिया में मस्जिदों में इबादत के दौरान लोगों को मौत के घाट उतारा गया। जिस तरह से आईएसआईएस द्वारा ऐतिहासिक स्मारकों को नष्ट कर दिया गया। वह आतंक की विभत्स तस्वीर को पेश करता है। हालांकि इनकी मंशा विश्व को इस्लामिक स्टेट में बदलने की है मगर ऐसा कुछ नज़र नहीं आता। हैवानों की तरह ये भीड़ में गोलियां चलाते हैं और इनके फरमान न मानने वालों को मौत दे देते हैं। 

आखिर आतंक की यह कहानी कब तक चलेगी। इस मसले पर इस बार विश्व समुदाय एकजुट नज़र आ रहा है लेकिन विश्व को आतंकवाद का दबे पांव से पौषण करने वाले पाकिस्तान को दो टूक कहना होगा कि या तो वह आतंक का साथ देकर अपनी बर्बादी का जश्न मना ले या फिर विश्व समुदाय के साथ आकर अपने देश में चलने वाले आतंकी ठिकानों को नष्ट कर दे क्योंकि यह बात साफ हो चुकी है कि आईएसआईएस क्षेत्रीय आतंकी संगठनों के साथ मिलकर भयावहता फैला रहा है। जम्मू - कश्मीर में जुम्मे की नमाज़ अता किए जाने के बाद पाकिस्तान और आईएसआईएस के झंडे फहराया जाना इस बात का संकेत है कि इस्लामिक आतंक के इस दानव से पाकिस्तान हाथ मिला रहा है। ऐसे में पाकिस्तान पर भी कड़ी कार्रवाई लाजमी है।

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