बयानी से बयानबाजों को सिखा रहे गुरू
बयानी से बयानबाजों को सिखा रहे गुरू
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आखिरकार भारत के पूर्व अंतर्राष्ट्रीय क्रिकेटर नवजोत सिंह सिद्धू ने राजनीति में कवर ड्राईव मार ही दिया। मगर अपनी साहित्यिक जुबान से उन्होंने काफी संभलकर बयान दिया है। नवजोत सिंह सिद्धू जहां क्रिकेट की पिच पर युवाओं के लिए एक अनुकरणीय ओपनर हैं तो भारतीय राजनीति में बयानबाजी करने वाले नेताओं के लिए भी राजनीतिक बयान की सीख देने वाले नेता नवजोत सिंह सिद्धू हो सकते हैं।

जिस तरह से सिद्धू ने अपनी बात रखी उससे भाजपा के वरिष्ठ नेता भी नाक-भौं नहीं सिकोड़ सकते और न ही पार्टी गाल फुला सकती है दूसरी ओर सिद्धू ने पंजाब चुनाव के पहले भारतीय जनता पार्टी के पास डिमांडिंग चुनौती पेश कर दी है। उन्होंने राज्य सभा से इस्तीफा जरूर दिया लेकिन यह साफ नहीं किया कि वे बीजेपी में रहेंगे या नहीं। दूसरी ओर आम आदमी पार्टी से भी उन्होंने बाले-बाले यह कहलवा दिया कि उनकी जगह आम आदमी पार्टी में खुली हुई है। पंजाब चुनाव में अकाली दल की भागीदारी वाली मौजूदा सरकार कुछ डगमगा रही है।

ऐसे में यदि सिद्धू पार्टी से किनारा कर लेते हैं और साथ में अपनी पत्नी और अपने समर्थकों को भी दूसरे दल में ले जाते हैं तो यह अकाली दल और भाजपा के गठबंधन के लिए एक बड़ी परेशानी हो सकती है। फिर पंजाब में जिस तरह से आम आदमी पार्टी अपनी कैंपेनिंग कर रही है वह इस गठबंधन के लिए मुश्किल कर सकता है।

यूं भी भाजपा अकाली दल की मौजूदा सरकार के सामने नशा खोरी, स्मगलिंग, आतंकवाद, श्री गुरूग्रंथ साहिब की बेअदबी, उप्रदव, बलात्कार आदि ऐसी कई घटनाऐं हैं जो कि काफी पेचिदगियों भरे हैं। ऐसे में भाजपा और अकाली दल के किसी कद्दावर और नामचीन नेता का बना रहना जरूरी है। सिद्धू के रूख से तो यही लगता है कि वे भाजपा में कोई बड़ी डिमांड कर सकते हैं।

'लव गडकरी'

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