यहाँ पर गाय के गोबर से बनाया प्राकृतिक पेंट, सरकार ने खोले 49 यूनिट
यहाँ पर गाय के गोबर से बनाया प्राकृतिक पेंट, सरकार ने खोले 49 यूनिट
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रायपुर: छत्तीसगढ़ में ग्रामीण क्षेत्रों की महिला को सशक्त बनाने के लक्ष्य से भूपेश बघेल सरकार ने 29 जिलों में गाय के गोबर से बनने वाले प्राकृतिक पेंट की 49 यूनिटें बनाई हैं। बीते 3 माह में यह सभी यूनिट तैयार किये गये हैं। अफसरों ने बताया कि अभी तक 2 लाख लीटर प्राकृतिक पेंट गाय के गोबर से बनाया जा चुका है। पूरे प्रदेश में इसपर काम कर रही 2000 महिलाओं को अब ढाई करोड़ दिया गया है। 

छत्तीसगढ़ सरकार ने सभी दफ्तरों एवं विद्यालयों में ईको-फ्रेंडली पेंट उपयोग करने को लेकर दिशा निर्देश भी जारी किया है। प्रदेश सरकार ने वर्ष 2019 में गोधन न्याय योजना का आरम्भ किया था। सरकार ने बाद में गौठानों को ग्रामीण ग्रामीण औद्योगिक पार्कों में बदल दिया। सीएम भूपेश बघले के सलाहकार प्रदीप शर्मा ने कहा, 'महात्मा गांधी रूरल इंडस्ट्रियल पार्क स्कीम के तहत गौठानों में कई कार्य किये जा रहे हैं। इसमें आय विकसित करने से जुड़े कार्यों के अतिरिक्त गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने जैसे महत्वपूर्ण कार्यक्रम भी शामिल है।' आगे उन्होंने कहा, गाय के गोबर से प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 49 यूनिट बनए गए हैं। वही एक वरिष्ठ अफसर ने कहा कि इस अनूठे नैचुरल पेंट ने पहले ही अपना नाम लिम्का बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड में दर्ज करवा रखा है। विश्व पर्यावरण दिवस के अवसर पर गाय के गोबर से बने पेंट के द्वारा 3600 स्क्वायर फीट के कैनवास बनाया गया था। अफसर ने कहा कि गाय के गोबर से बनने वाले पेंट महिलाओं के लिए स्व-रोजगार के नये रास्ते खोल रहे हैं। महिलाएं पैसे कमाकर अपना और अपने परिवार का भऱण-पोषण करने को लेकर सशक्त बन रही हैं। 

वही इससे पहले महिलाएं गौठानों में कृमि खाद बनाने का काम करती थीं। किन्तु अब वो गाय के गोबर से पेंट बना रही हैं। अफसर ने बताया कि एक यूनिट में एक महिला हर दिन 200 लीटर पेंट तैयार करती है। छत्तीसगढ़ में बन रहा यह अनूठा पेंट देश भर में लोगों को सरलता से मिल जाए इसके लिए खादी इंडिया से एक करार भी किया गया है। प्रदेश में प्राकृतिक पेंट बनाने के लिए 95 नये यूनिट बनाने की भी योजना है। अफसर ने पेंट बनाने की प्रक्रिया के बारे में खबर देते हुए कहा कि गौठान से गाय का गोबर लेने के बाद इसे एक मिक्सिंग टैंक में रिफाइन किया जाता है। फिर इन्हें डिस्टेम्पर बनाया जाता है। इस प्रकार से बने अनूठे पेंट को बाजार में 150 रुपये प्रति लीटर के हिसाब से बेचा जाता है।

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