दुकान पर मेडल टांगकर चाय बेचने को मजबूर हुआ नेशनल तैराक, नहीं मिली सरकार से कोई मदद
दुकान पर मेडल टांगकर चाय बेचने को मजबूर हुआ नेशनल तैराक, नहीं मिली सरकार से कोई मदद
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पटना: भारत में क्रिकेट के अतिरिक्त बाकी खेलों का हाल कितना बुरा है, यह किसी से छिपा नहीं है. मौजूदा वक़्त में टेक्नोलॉजी के चलते राष्ट्रिय खेल हॉकी सहित कुछ खेल एवं एथलीट्स की स्थिति थोड़ी ठीक हुई है, मगर कुछ वक़्त पहले राष्ट्रिय और अंतर्राष्ट्रीय विजेताओं का हाल बहुत बुरा हुआ करता था. उन्हें चाय बेचने तथा मजदूरी करने के लिए मजबूत होना पड़ता था. आज भी कुछ एथलीट्स ऐसे हैं, जो यही काम करके परिवार चला रहे हैं. इनमें से ही एक हैं पटना के तैराक गोपाल प्रसाद यादव. उन्होंने राष्ट्रिय स्तर पर 5 पदक जीते हैं, मगर वह चाय बेचने को विवश हैं. गोपाल 1988 एवं 1989 में स्विमिंग में चैम्पियन रह चुके हैं, मगर ना तो केंद्र तथा न ही बिहार सरकार ने उनकी सुध ली. बहुत संघर्ष करने के पश्चात् आज वे चाय दुकान चलाकर परिवार चलाते हैं.

वही गोपाल प्रसाद को आज तक सरकारी नौकरी नहीं मिली, जिसकी वजह से वे सड़क पर चाय बेचने को विवश हैं. उन्होंने 1988 तथा 1989 में तैराकी में 5 पदक जीते थे, जो आज दुकान पर टांगकर रखते हैं. यह पदक सरकार की असफलता को उजागर करते हैं. गोपाल प्रसाद दुकान पर अपने जीते हुए 5 पदक टांगकर रखते हैं. बिहार में प्लेयर का क्या हश्र होता है यह बताने के लिए गोपाल ने दुकान पर पदक टांग रखे हैं. उनका ख्वाब है कि उनका बेटा अंतर्राष्ट्रीय तैराकी में पदक जीतकर देश का नाम रोशन करे. हालांकि संसाधन की कमी की वजह से गोपाल को बहुत दुःख भी है.

वही बिहार के इस तैराक ने कहा, 'मुझे कोई शर्म महसूस नहीं होती....शर्म तो सरकार को करनी चाहिए. उन्होंने कहा कि लालू की सरकार हो या नीतिश कुमार की, सब स्थान पर गुहार लगा चुका हूं. वहां से केवल आश्वासन के सिवा कुछ नहीं मिला है.' गोपाल अपनी दुकान पर 6 रुपए प्रति प्याली के हिसाब से चाय बेचते हैं. उन्होंने बताया कि जब केंद्र में नरेंद्र मोदी की सरकार बनी थी तो उन्हें एक उम्मीद जगी थी कि पीएम एक चाय बेचने वाला बना है. अब अवश्य उनकी किस्मत बदलेगी, मगर ऐसा कुछ नहीं हुआ. गोपाल ने कहा कि 10 वर्षों  तक मोदी की टी-शर्ट पहनकर चाय बेची, मगर मेरी किस्मत वैसी की वैसी ही रही. उनके अच्छे दिन नहीं आए. अब तेजस्वी यादव तथा तेज प्रताप की टी-शर्ट पहनते हैं तथा चाय बेचते हैं, हो सकता है कि आने वाले समय में कहीं इनकी सरकार बनेगी तो शायद मेरे भी किस्मत बदलेगी.

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