आखिर क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस
आखिर क्यों मनाया जाता है राष्ट्रीय लुप्तप्राय प्रजाति दिवस
Share:

लुप्तप्राय प्रजाति दिवस 2021: कोरोना महामारी  की वजह से, इस दिन के लिए आयोजित कार्यक्रम मुख्य रूप से ऑनलाइन कार्यक्रम, डिजिटल क्रियाएं और दूरस्थ गतिविधियाँ होने वाली है। यह दिन हमें सभी उम्र के लोगों को लुप्तप्राय प्रजातियों और उनकी रक्षा के तरीकों को देखने और सीखने का मौका देता है।

हम बता दें कि इस दिन लुप्तप्राय प्रजातियों, उनके आवासों की रक्षा करने और उनकी रक्षा के लिए आवश्यक जांच करने के महत्व के बारे में जागरूकता को और भी बढ़ाना है। इसलिए, लुप्तप्राय प्रजाति दिवस हमारे देश की लुप्तप्राय प्रजातियों और उनके आवासों की रक्षा के लिए राष्ट्रीय संरक्षण कोशिशों को मान्यता देता है । विभिन्न वन्यजीव आश्रयों, चिड़ियाघरों, पार्कों, सामुदायिक केंद्रों, एक्वैरियम, वनस्पति उद्यान, पुस्तकालयों, स्कूलों और कॉलेजों आदि में कई कार्यक्रम और युवा प्रतियोगिताओं का आयोजन भी किया जाता है।

लुप्तप्राय प्रजातियां क्या हैं?: जब से पृथ्वी पर जीवन की शुरुआत हुई है, पर्यावरण की भौतिक और जैविक स्थितियों में परिवर्तन की वजह से कई जीव आए और गए या विलुप्त हो गए। यह बात तो हम सभी जानते है कि यह प्रकृति का नियम है कि विलुप्ति स्वाभाविक रूप से होगी और आगे भी होती रहेगी। लेकिन वैज्ञानिक प्रमाण बताते हैं कि प्रजातियों के विलुप्त होने की वर्तमान दर अतीत की पृष्ठभूमि दर की तुलना में बहुत अधिक है। हमें यही सोचना है या चिंता का विषय है। है ना!

जंहा हम कह सकते हैं कि लुप्तप्राय प्रजातियां वे प्रजातियां हैं जो अपनी आबादी में अचानक तेजी से कमी या उनके महत्वपूर्ण आवास की हानि की वजह से विलुप्त होने के जोखिम में हैं। पौधों या जानवरों जैसी प्रजातियां जिन्हें विलुप्त होने का खतरा था, उन्हें लुप्तप्राय प्रजाति कहा जा सकता है।

मिली जानकारी के अनुसार 1960 और 1970 के दशक में पर्यावरण और संरक्षण के साथ जानवरों की भलाई को लेकर चिंता  जाहिर की गई। सभी संकटग्रस्त प्रजातियों के लिए वन्यजीव संरक्षण और बहाली के कोशिशों के महत्व को बढ़ाने के लिए 1973 के लुप्तप्राय प्रजाति अधिनियम को 28 दिसंबर को कानून में हस्ताक्षरित कर दिया गया था।  जंहा यह भी कहा जाता है कि लुप्तप्राय प्रजाति दिवस पहली बार 2006 में अमेरिकी सीनेट द्वारा बनाया गया था।

राजीव गांधी को नहीं थी सियासत में कोई भी दिलचस्पी

आंध्र प्रदेश सरकार ने वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 2.29 लाख करोड़ रुपये का बजट किया पेश

यूपी सरकार का बड़ा फैसला, आगामी शैक्षणिक सत्र के लिए स्कूल फीस वृद्धि पर लगाया प्रतिबंध

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -