नई दिल्ली : अनिल अंबानी के रिलायंस ग्रुप ने पिपावाव शिपयार्ड खरीदने के बाद रक्षा क्षेत्र में अपनी सक्रियता बढ़ा दी है। अंबानी ने पिछले कुछ हफ्तों में कई कंपनियां बनाई है। उन्होंने यूएवी से लेकर स्पेसक्राफ्ट और सबमरीन सिस्टम्स जैसे सैन्य उपकरणों को डिजाइन करने, विकसित करने और उनका निर्माण करने के लिए दर्जन भर लाइसेंस के लिए आवेदन किया है।
रक्षा क्षेत्र में काम करने के लिए रिलायंस डिफेंस लिमिटेड ने हाल ही में 11 नई कंपनियां बनाई हैं। हर कंपनी का लक्ष्य कम से कम 10,000 करोड़ रुपए के संभावित मार्केट को टारगेट करना है। अधिकारियों के अनुसार, इन कंपनियों को 'मेक इन इंडिया' अभियान के तहत देश में एंट्री करने में दिलचस्पी रखने वाले विदेशी निर्माताओं के साथ ज्वाइंट वेंचर पार्टनर्स के तौर पर यूज किया जा सकता है। इनका उपयोग उपकरणों के लाइसेंसी उत्पादन में भी किया जा सकता है। इसके अलावा रक्षा उपकरणों को निर्यात करने पर भी विचार किया जा रहा है।
अंबानी ने संकेत दिए हैं कि वह सिर्फ शिपबिल्डंग और हेलिकॉप्टर निर्माण तक ही सीमित नहीं रहेंगे। उन्होंने सैन्य सिस्टम विकसित करने और उसका निर्माण करने के लिए 14 नए लाइसेंस के लिए आवेदन किया है। इसके लिए अंबानी की कंपनियों को इस साल के अंत तक मंजूरी मिल जाने की उम्मीद है। अंबानी की कंपनियों ने लैंड सिस्टम्स, अनमैन्ड एविएशन डिफेंस इलेक्ट्रॉनिक्स, सबमरीन कंस्ट्रक्शंस, मिसाइल प्रोडक्शन और सभी प्लेटफॉर्म के लिए इंजन विकसित करने के कोर मार्केट में एंट्री के लिए आवेदन किया है। स्पेसक्राफ्ट और सैटेलाइट तक बनाने के लिए सरकार से लाइसेंस के लिए आवेदन किया गया है।