सियोल : दक्षिण कोरिया की यात्रा के दूसरे दिन मंगलवार को भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि भारत के भविष्य को लेकर उन्होंने जो सपना देखा है, वैसा ही वह पड़ोसी देशों के लिए भी चाहते हैं। उन्होंने यह भी कहा कि विकास को समावेशी होना चाहिए, चाहे यह देश के भीतर हो या विभिन्न राष्ट्रों के बीच। यहां छठे एशियाई नेतृत्व सम्मेलन को संबोधित करते हुए प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि कोरिया की अर्थव्यवस्था हैरतभरी है और प्रौद्योगिकी के मामले में इसकी वैश्विक नेतृत्व क्षमता ने एशियाई शताब्दी के दावे को अधिक वास्तविक बनाया है। प्रधानमंत्री कार्यालय ने ट्विटर पर मोदी के संबोधन के बारे में लिखा है।
इसके अनुसार, मोदी ने कहा, "विकास को निश्चत रूप से अधिक समावेशी होना चाहिए, चाहे यह राष्ट्र के भीतर हो या विभिन्न राष्ट्रों के बीच। यह न सिर्फ देश की सरकार की जवाबदेही है, बल्कि क्षेत्रीय जिम्मेदारी भी है।" बकौल मोदी, "मैंने भारत के भविष्य का जो सपना देखा है, वैसा ही मैं पड़ोसी देशों के लिए भी चाहता हूं। भारत का विकास एशियाई सफलता की कहानी है। मेरा एशियाई सपना यह है कि सभी एशियाई राष्ट्र साथ मिलकर विकास करें।"
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता विकास स्वरूप ने ट्वीट कर बताया कि जलवायु परिवर्तन के मुद्दे पर मोदी ने कहा, "प्रकृति पूजा हमारी साझा विरासत का हिस्सा है। जलवायु परिवर्तन से लड़ना हमारे अपने ही हित में है।" मोदी ने संपर्क पर जोर दिया और कहा कि भारत इस मामले में एशियाई चौराहे की तरह है। उन्होंने कहा, "हम परस्पर संबद्ध एशिया के निर्माण की अपनी जिम्मेदारी निभाएंगे।"
उन्होंने कहा, "एशियाई देशों के बीच प्रतिद्वंद्विता हमें पीछे धकेलेगी, जबकि एशियाई एकजुटता दुनिया को नई शक्ल देगा। आइये, साथ मिलकर अपनी साझा विरासत की रूपरेखा तय करें और एशिया में समान उद्देश्य को आगे बढ़ाएं।" संयुक्त राष्ट्र में सुधार के विषय पर मोदी ने कहा, "हम सभी को संयुक्त राष्ट्र और इसकी सुरक्षा परिषद सहित अन्य वैश्विक गवर्नेस संस्थाओं में भी सुधार के लिए काम करना चाहिए, लेकिन एक एशियाई की तरह।" उन्होंने कहा, "भारत एशिया की साझा समृद्धि चाहता है, जहां एक राष्ट्र की सफलता अन्य के लिए भी ताकत बने।"