मेरा देश बढ़ रहा है, योजनाओं का पिटारा खुल रहा है
मेरा देश बढ़ रहा है, योजनाओं का पिटारा खुल रहा है
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इन दिनों टेलिविजन चैनलों पर और आते जाते वाहनों में बजते एफएम चैनलों पर कई बार यह गीत सुनाई देता है. मेरा देश बढ़ रहा है, मेरा देश बढ़ रहा है। जी हां, देश तो बढ़ रहा है. हां इसकी अपनी समस्याऐं हैं मगर फिर भी लोग राहत पा रहे हैं. इन दिनों चर्चा हो रही है प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व और राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार के शासन की उपलब्धियों की. दरअसल एनडीए के शासन की यूपीए के शासन से तुलना की जा रही है. कहा जा रहा है कि इन दिनों देश तरक्की की राह पर है. देश में विकास हो रहा है।

हां विपक्ष सरकार पर तरह- तरह के आरोप लगा रहा है. मगर उसका असर इतना नहीं हो रहा. सरकार ने अपने दूसरे रेल बजट में किराये को नहीं बढ़ाया लेकिन करीब 130 किलोमीटर प्रतिघंटा की रफ्तार वाली ट्रेन को प्रारंभ करने की योजना पर बात की। यही नहीं यात्रियों को बायो टॉयलेट से परिचित करवाया और तो और कई सुविधाजनक ट्रेनें उपलब्ध करवाईं. ऐसे में लोगों को रेलवे के लिहाल से संतुष्टि मिली. जो काम यूपीए की सरकार नहीं कर पा रही थी उसे एनडीए सरकार ने कर दिखाया. लोगों को एक सपना दे दिया कि वर्ष 2028 तक अहमदाबाद और मुंबई की दूरी केवल चंद घंटे की हो जाएगी।

इतना ही नहीं गरीबों को प्रधानमंत्री जनधन योजना के माध्यम से बचत की आदत से जोड़ा. हालांकि प्रारंभ में तो जीरो बैलेंस पर ही लोगों के खाते खुले मगर उन्हें बीमा योजना का लाभ देकर बचत की ओर प्रोत्साहित किया गया. सरकार लोगों के लिए महंगाई का ग्राफ कम तो नहीं कर पाई मगर इसे कांस्टेंट जरूर रखा गया. यह सरकार की एक बड़ी उपलब्धि थी. एनडीए और इसक्रे समर्थित घटक दलों का जिन राज्यों में शासन है वहां पर सड़क का गुणवत्तापूर्ण निर्माण किया जाना मोदी शासन की कुशलता को दर्शाता है. लोगों को कई तरह की सुविधाऐं दी गई।

जिसमें डिजिटल प्लेटफॉर्म पर वे आयकर का सबमिशन कर सकते हैं, वे अपने पेंशन प्रमाणपत्र को ऑनलाईन माध्यम से दाखिल कर सकते हैं. लोगों को राष्ट्रीय जनतांत्रिक गठबंधन सरकार ने योजनाओं का एक ऐसा दिया थमाया जिसके प्रकाश में वे कई तरह के स्वप्न देख सकते हैं. फिर कांग्रेस का शासन जिन राज्यों में है वहां भी वह इतने वर्षों में विकास के कोई प्रतिमान गढ़ नहीं पाई दूसरी ओर उसके लिए टूजही स्पेक्ट्रम, कोल आवंटन जैसे घोटाले जनता की उपेक्षा के सबसे बड़े कारक हैं. ऐसे में उसे निराशा के बादलों के हटने का लंबे समय तक इंतजार करना पड़ सकता है. मगर तब तक शायद भाजपाई खेमा देशभर में मजबूत हो जाए।

'लव गडकरी'

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