आज ही के दिन मुंशी प्रेमचंद ने दुनिया को कहा था अलविदा
आज ही के दिन मुंशी प्रेमचंद ने दुनिया को कहा था अलविदा
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मुंशी प्रेमचंद का नाम साहित्य की दुनिया में बहुत बड़ा है, उनकी ये पंक्तियां उपन्यास सम्राट  की कहानी 'पूस की रात' की हैं और ये अपने समय के भारतीय जनमानस का यथार्थ बताती हैं. प्रेमचंद ने अपनी कहानियों में समाज के यथार्थ पूरी बारीकी से उकेरा है. जिसके आज भी सराहा जाता है.  ऐसे यथार्थवादी चरित्रों को रचने वाले 'कलम के सिपाही' प्रेमचन्द का जन्म 31 जुलाई सन् 1880 को बनारस शहर से चार मील दूर लमही गाँव में हुआ था. प्रेमचंद न सिर्फ भारत, बल्कि दुनियाभर के मशहूर और सबसे ज्यादा पसंद किए जाने वाले रचनाकारों में से एक हैं. 8 अक्टूबर यानी आज प्रेमचंद की पुण्यतिथि है. इस मौके पर हम उनकी कुछ खास रचनाएं आपके साथ शेयर करने वाले है.

लगभग प्रेमचंद की हर कहानियों में किरदार आम आदमी होते हैं. उनकी कहानियों में आम आदमी की समस्याएं और जीवन के उतार-चढ़ाव परिलक्षित होते हैं. हिंदी साहित्य का यह दैदीप्यमान नक्षत्र भले ही हमारे बीच न हो, लेकिन उनका रचनाकर्म आज भी संपूर्ण भारत में अमर है. 

चोर को पकड़ने के लिए विरले ही निकलते हैं, पकड़े गए चोर पर पंचलत्तिया जमाने के लिए सभी पहुँच जाते हैं.
- रंगभूमि

जिनके लिए अपनी ज़िन्दगानी ख़राब कर दो, वे भी गाढ़े समय पर मुँह फेर लेते हैं.
- रंगभूमि

बनी हुई बात को निभाना मुश्किल नहीं है, बिगड़ी हुई बात को बनाना मुश्किल है. 
- रंगभूमि

रूखी रोटियाँ चाँदी के थाल में भी परोसी जायें तो वे पूरियाँ न हो जायेंगी.
- सेवासदन

कड़वी दवा को ख़रीद कर लाने, उनका काढ़ा बनाने और उसे उठाकर पीने में बड़ा अन्तर है.
- सेवासदन

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