लंदन: यूनिवर्सिटी कॉलेज लंदन के प्रोफेसर आंद्रिया सेला बताते हैं ,जो कि रसायन विज्ञान के प्रोफेसर हैं. पीरिऑडिक टेबल दिखाते हुए बताते हैं कि दाहिनी तरफ से शुरू करते हुए जो तत्व चटख नीले रंग मे हैं वो तत्व रासायनिक रूप से स्थिर होते हैं, बदलते नहीं हैं और किसी से प्रतिक्रिया नहीं करते हैं. इन्हे बदलना आसान नहीं होता और इसलिए मुद्रा के रूप मे इस्तेमाल नहीं किये जा सकते।
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उसके बाद आते हैं अधातु और गैसीय तत्व जिन्हे धातु के रूप मे इस्तेमाल करना नामुमकिन था और पहचानना और पाना भी मुश्किल था इसलिए ये भी मुद्रा के रूप मे इस्तेमाल नहीं किये जा सकते थे. अब आते हैं क्षारीय तत्व जो कि आसानी से कहीं भी उपलब्ध होते हैं और इन्हे कोई भी मुद्रा बनाने के लिए दुरूपयोग कर सकता है. विकारिणीय तत्व किसी को भी नुक्सान कर सकते हैं ,इन्हे मुद्रा नहीं बनाया जा सकता है |
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मुद्रा के रूप मे ऐसे तत्वों का इस्तेमाल किया जाना चाहिए जो आसानी से नहीं मिलते हो जैसे, सोना ,चांदी ,प्लैटिनम ,रेडियम और पैलेडियम | रेडियम और पैलेडियम का इस्तेमाल मुद्रा बनाने के लिए किया जा सकता था पर इनकी खोज नहीं हुई थी और प्लैटिनम का गलनांक ज्यादा होने की वजह से आखिर मे सोने और चांदी चुने गए और इन्हे मुद्रा के रूप मे इस्तेमाल किया गया।
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