फिल्म रिव्यू: ‘ये तो टू मच हो गया’
फिल्म रिव्यू: ‘ये तो टू मच हो गया’
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निर्देशक : अनवर खान
निर्माता : मुदार अनवाला-अली अनवाला 
कलाकार: जिमी शेरगिल, अरबाज़ खा़न, पूजा चोपड़ा, ब्रूना अब्दुल्ला, मुरली शर्मा, ज़रीना वहाब 

बॉलीवुड में अपना सुनहरा समय बिता चुके कई फिल्मकार और सितारे आज के कलाकारों और फिल्मकारों की तारीफें करते नहीं थकते। इसकी वजह यह है कि आज के सितारे लीक से हट कर किरदार चुनने का जोखिम लेते हैं। नए पीढ़ी के फिल्मकार थोड़ी अलग-सी दिखने वाली आम कहानियों पर माथापच्ची भी करने लगे हैं। ऐसे में जब ‘ये तो टू मच हो गया’ जैसी फिल्म आती है तो दिमाग घूमता है कि आखिर इस तरह की फिल्मों की फंडिंग होती कैसे है? जिमी शेरगिल जैसे उम्दा अभिनेता ऐसी फिल्म में काम करने के लिए तैयार कैसे हो जाते हैं।

यह कहानी है दो हमशक्ल जुड़वां भाई मोहन (जिमी शेरगिल) और मन (जिमी शेरगिल) की। मन, थाईलैंड में रहता है और टीना (ब्रूना अब्दुल्ला) से प्यार करता है। एक दिन टीना के चक्कर में मन की लड़ाई रिक्की नामक एक बंदे से हो जाती है। रिक्की एक फेमस डॉन मैक (अरबा़ज खा़न) का छोटा भाई है। मन, रिक्की की इतनी धुलाई करता है कि वह अस्पताल पहुंच जाता है। मैक, कसम खाता है कि जब तक वह अपने भाई की पिटाई का बदला नहीं लेगा, चैन से नहीं बैठेगा। मैक, मन को ढूंढने के लिए पूरे थाईलैंड में अपने प्यादे भेज देता है।

इधर, भारत में उत्तर प्रदेश के एक गांव में अपनी मां (ज़रीना वहाब) के साथ रहने वाला मोहन आए दिन गांव वालों के लिए नई-नई मुसीबत खड़ी करता रहता है। मोहन, मीना (पूजा चोपड़ा) से प्यार करता है, लेकिन इन दोनों के प्यार के बीच पूजा का भाई चौधरी (मुरली शर्मा) खड़ा है, जो खुद सपना नामक एक लड़की से चोरी-छिपे मिलता-जुलता है।

मोहन को अपनी बहन से दूर रखने के लिए चौधरी, सपना के साथ मिलकर एक प्लान बनाता है, लेकिन इससे पहले मोहन गांव छोड़ कर चला जाता है। मोहन, मन से मिलने के लिए थाईलैंड चला जाता है, जबकि मैक के गुंडों से अपना पीछे छुड़ाने के लिए मन भारत आ जाता है। दोनों की भाईयों की अदला-बदली के बाद फिल्म में क्या होता है इसका अंदाजा लगाना कोई मुश्किल काम नहीं है।

बॉलीवुड में अब तक बनी डबल रोल या कहिये हमशक्ल भाईयों पर बनी तमाम फिल्मों की ही तरह यह फिल्म भी है। निर्देशक अनवर खान ने थोड़ा बहुत भी कुछ अलग करने की ज़हमत ही नहीं उठाई है। इंटरवल के बाद की फिल्म दिलीप कुमार की ‘राम और श्याम’, हेमा मालिनी की ‘सीता और गीता’ और अनिल कपूर की ‘किशन कन्हैया’ जैसी ही है।

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