फिल्म: फुल्लू
क्रिटिक रेटिंग: 2.5 /5
स्टार कास्ट: शारिब अली हाशमी, ज्योति सेठी, नूतन सूर्या
डायरेक्टर: अभिषेक सक्सेना
प्रोड्यूसर: पुष्पा चौधरी, अनमोल कपूर, क्षितिज चौधरी, रमन कपूर
म्यूजिक: विकी अग्रवाल
जॉनर: सोशल ड्रामा
डायरेक्टर अभिषेक सक्सेना ने महिलाओं की एक अहम समस्या के ऊपर इस फिल्म के जरिए ध्यान आकर्षित करने की कोशिश की है और तरह-तरह के एग्जाम्पल के साथ इस समस्या की तरफ प्रकाश डालने की कोशिश की है. कैसी बनी है यह फिल्म, आइए पता करते हैं...
कहानी
हाँ तो जनाब फिल्म की कहानी शुरू होती है एक गांव में रहने वाले फुल्लू 'शारिब अली हाशमी' से जो पुरे ही गांव में चर्चा का विषय बना रहता है. वह कुछ काम धंधा तो करता नही था ऐसे में फुल्लू की माँ उसका ब्याह कर देती है ताकि वह शादी के बाद शायद सुधर जाए. फिर क्या था फुल्लू की शादी कर दी जाती है और बहू के रूप में बिगनी(ज्योति सेठी) घर पर आती है. एक दिन अचानक से जब फुल्लू शहर गया रहता है तो वहां एक मेडिकल स्टोर पर एक डॉक्टर उसे महिलाओं के पैड के बारे में जानकारी देती हैं जिसे सुनकर उसकी आंखें खड़ी हो जाती है और फुल्लू अपने घर की महिलाओं के लिए पैड खरीद कर लाता है. फिर एक बार उसकी माँ ने फुल्लू की बहन के गहने खरीदने के लिए कुछ पैसे दिए जिसे वह महिलाओ के इन पैड को उठा लाता है. फिर बाद में अपनी माँ की बात न मानते हुए फुल्लू इन पैड को गांव वालों को कम पैसे में पैड मुहैया कराता है. फिर बाद में शहर जाकर फुल्लू स्वंय पैड बनाना सीखता है. तथा अपनी पत्नी संग किस प्रकार से वह गांव में एक क्रांति लाता है व अपने सपने को भी साकार करता है इसके लिए आपको फिल्म देखने के लिए सिनेमाघरों का रुख करना होगा.
डायरेक्शन
देखा जाए तो इस फिल्म का निर्देशन बढ़िया है और सिनेमेटोग्राफी, लोकेशंस भी कहानी के हिसाब से ठीक है. जमीनी लेवल पर शूटिंग काफी दिलचस्प भी लगती है. फिल्म की कहानी की सोच तो काफी अच्छी है लेकिन बड़े स्टार कास्ट ना होने की वजह से शायद इसे बॉक्स ऑफिस पर ओपनिंग पाने के लिए संघर्ष करना पड़ सकता है.
स्टारकास्ट की परफॉर्मेंस
शारिब हाशमी ने टाइटल किरदार बहुत ही बेहतरीन निभाया है जिसे आप अंत तक याद रखते हैं. फिल्म में छोटी-छोटी बातें हैं जो आपके जहन में भी घर कर जाएंगी. वहीं एक्ट्रेस ज्योति सेठी ने किरदार के लिहाज से बखूबी एक्टिंग की है. इसके अलावा फिल्म में बाकि कलाकारों ने भी ठीकठाक अभिनय किया है.
म्यूजिक
फिल्म का संगीत अच्छा है खास तौर पर भुनर भुनर वाला गीत सबसे बेहतरीन है फिल्म का बैकग्राउंड स्कोर अच्छा है.
देखें या नहीं
फिल्म के द्वारा एक सीख दी गई है और साथ ही साथ यह एक एडल्ट फिल्म है. अगर आपको मुद्दों पर आधारित फिल्में पसंद हैं तो एक बार जरूर देख सकते हैं बशर्ते कि आप एडल्ट भी हो.
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