Movie Review :बांके की क्रेज़ी बारात में क्रेजीपन नहीं
Movie Review :बांके की क्रेज़ी बारात में क्रेजीपन नहीं
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'बांके की क्रेज़ी बारात' ने लोगो के दिलो पर कितना राज किया है ये तो अब ऊपर वाला ही बता सकता है। यह फिल्म शादी के समय दूल्हा दुल्हन के ताने बाने पर बनाई गई है। फिल्म मे राजपाल यादव एक बहुत ही सुंदर लड़की से शादी करते है। लड़की जिससे शादी करने वाली होती है वह दूल्हा कही भाग जाता है फिर लड़की के  लिए उसके चाचा नया दूल्हा ढूंढते है,जो राजपाल यादव होते है वो उस लड्की से शादी करने का नाटक करने के लिये मान जाता है क्योंकि राजपाल फिल्म मे किसी से पैसे लेते है जिसे चुकाने के लिये वो ये सब नाटक करते है।

लेकिन बाँके को लड़की से प्यार हो जाता है और उसे एहसास होता है कि वह अंजलि के साथ अच्छा नही कर रहा है। फिल्म मे कई ऐसे मोड आते है जहा लड़की के घर वालों को पता लगने वाला होता है कि दूल्हा नकली है लेकिन लडकी के चाचा सब कुछ संभाल लेते है। दोनों की शादी हो जाती है और राजपाल अंजलि को अपने घर लेकर जाते है। बाद मे अंजली को पता चलता है तो वह टूट जाती है।

बस यही चलता है पूरी फिल्म मे यह जरूरी नही की आपको फिल्म देखकर मजा भी आए। फिल्म किस लिये बनाई गई है ये बिलकुल भी समझ नही आता है। अगर अभिनय की बात करे तो टिया बाजपेयी और सत्यजीत ने अच्छा काम किया है। पोस्टर को देखकर फिल्म जितनी मजेदार होनी चाहिए उतनी नही है फिल्म मे बिलकुल भी क्रेज़ी पन नही दिखता है।

 

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