देश की तस्वीर बदलने वाले आंदोलन
देश की तस्वीर बदलने वाले आंदोलन
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किसी भी देश की कल्पना बिना आंदोलन के संभव नहीं है . जहाँ तक भारत का सवाल है तो यहां के आन्दोलनों को दो भागों में विभाजित किया जा सकता है .पहला आजादी के पहले का आंदोलन और दूसरा आजादी के बाद का आंदोलन. आजादी के पहले के आंदोलनों में 1857 की क्रान्ति ,1930 का महात्मा गाँधी का नमक आंदोलन,1920 का असहयोग आंदोलन और 9 अगस्त 1942 का भारत छोड़ो आंदोलन को शामिल किया जा सकता है , जिसने न केवल देश को आजाद कराया , बल्कि एक नई दिशा भी दी .

जबकि आंदोलन के दूसरे भाग में सबसे पहले 1970 के चिपको आन्दोलन  को चांदनी प्रसाद भट्ट और सुन्दरलाल बहुगुणा के नेतृत्व में किया गया.इसका नाम चिपको आन्दोलन इसलिए पड़ा, क्योंकि जब भी कोई व्यक्ति पेड़ काटता था तो यहां महिलाएं पेड़ से चिपक कर खड़ी हो जाती थीं. यह आन्दोलन पूरे देश में जंगल की आग की तरह फैला ,जबकि आजादी के बाद देश की दिशा बदलने में 1974 के ‘जेपी आन्दोलन’ ने बड़ी भूमिका निभाई. बिहार के विद्यार्थियों द्वारा बिहार सरकार के भ्रष्टाचार के विरूद्ध इस आंदोलन की अगुवाई प्रसिद्ध गांधीवादी और सामाजिक कार्यकर्ता जयप्रकाश नारायण (जेपी) ने की थी. इस आंदोलन ने  केन्द्रीय विपक्षी दलों को एकजुट कर दिया. जेपी आन्दोलन के चमत्कार से ही 1977 में पहली गैर कांग्रेसी जनता सरकार बनी.

बता दें कि इसके बाद ‘जंगल बचाओ आन्दोलन’ 1980 में बिहार से जंगल बचाने की मुहिम से शुरू हुआ जो बाद में झारखण्ड और उड़ीसा तक फ़ैल गया.1980 में सरकार ने बिहार के जंगलो को मूल्यवान सागौन के पेड़ो के जंगल में बदलने की योजना पेश की थी जिसके खिलाफ सभी आदिवासी कबीलों ने अपने जंगलो को बचाने के लिए यह आंदोलन चलाया था.इसके बाद 1985 से शुरू हुआ ‘नर्मदा बचाओ आन्दोलन’ नर्मदा नदी पर बन रहे अनेक बांधो के विरुद्ध शुरू किया गया. इसका नेतृत्व इलाके के बहुसंख्यक आदिवासी, किसान, पर्यावरणविद और मानवाधिकार आन्दोलनकारियों ने किया इनमें बाबा आम्टे और मेघा पाटकर का नाम उल्लेखनीय है.आखिर कोर्ट के हस्तक्षेप से पहले प्रभावित लोगों का पुनर्वास करने को कहा गया.

इसके बाद 2011 में प्रसिद्ध सामाजिक कार्यकर्ता अन्ना हजारे ने दिल्ली के जंतर-मंतर पर जनलोकपाल बिल के लिए भूख हड़ताल कर अन्ना आंदोलन शुरू किया , जिसके समर्थन में पूरा देश एकजुट हुआ.यह दो दशक का सबसे लोकप्रिय आंदोलन बना.इसी आंदोलन से अरविन्द केजरीवाल दिल्ली के मुख्यमन्त्री बने.इसके बाद 2012 में दिल्ली में हुए एक गैंगरेप की एक घटना ने पूरे देश में स्व स्फूर्त आंदोलन शुरू हुआ जिसे निर्भया आंदोलन नाम दिया गया.इस आंदोलन ने पूरे देश की विभिन्न राज्य सरकारों और केंद्र सरकार को महिला सुरक्षा को लेकर विभिन्न कदम उठाने और महिला सुरक्षा के कौन बनाने को मजबूर कर दिया.

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