कॉल ड्रॉप के तले दूरसंचार कंपनियों पर बढ़ेगा 200 करोड़ का बोझ
कॉल ड्रॉप के तले दूरसंचार कंपनियों पर बढ़ेगा 200 करोड़ का बोझ
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बार बार बढ़ रहे कॉल ड्रॉप के बोझ से ग्राहकों को मुक्त करने के लिए इसके बदले में पैसे लौटाने के नियम से दूरसंचार कंपनियों पर ज्यादा से ज्यादा 200 करोड़ रुपये प्रति तिमाही का ही एक्स्ट्रा भार बढ़ जायेगा। हालांकि भारतीय दूरसंचार नियामक प्राधिकरण (ट्राई) ने इन मीडिया रिपोर्टों को ख़ारिज किया है कि इस नियम से दूरसंचार कंपनियों पर 10 हजार करोड़ रुपये से लेकर 54 हजार करोड़ रुपये तक का भार बढ़ जायेगा।

ट्राई ने बताया की दूरसंचार सेवा प्रदाताओं के आंकड़ों के अनुसार उसने कॉल एवं कॉल ड्रॉप के आंकड़ों की विस्तृत जांच की है और जांच के आधार पर यह परिणाम सामने आया है की ये रिपोर्ट अतिश्योक्तिपूर्ण एवं भ्रामक हैं। दूरसंचार नियामक ने बताया की कॉल ड्रॉप के लिए सभी ग्राहकों के लिए प्रतिदिन अधिकतम तीन रुपये भुगतान किए जाने का नियम है और इसके अनुसार दूरसंचार कंपनियों पर प्रति तिमाही अधिकतम 200 करोड़ रुपये का ही भार बढ़ेगा, जो इन कंपनियों के कुल राजस्व के एक फीसदी से भी कम है।

इस नियम के संबंध में तकनीकी गड़बड़ी देखने को मिली है, इस मामले पर ट्राई ने जानकारी दी है की दूरसंचार कंपनियों को इसके लिए तैयारी करने का पर्याप्त समय दिया गया है और वे इस दिए गए समय में नए प्रावधान पर अमल करने की सारी तैयारियां पूर्ण कर सकती हैं। साथ ही साथ ग्राहकों द्वारा जताई गई आशंका को भी ट्राई ने गलत करार दिया है। उसने जानकारी दी की इस रिपोर्टों में 50 प्रतिशत ग्राहकों को बेईमान मानकर संदेह जताया गया था कि अधिकतर ग्राहक प्रतिदिन 3 रुपये पाने के लिए लीपापोती वाले दावा करेंगे।

नियामक ने कहा कि यह मुमकिन नहीं है कि 50 फीसदी ग्राहक झूठे दावे करें। दूरसंचार कंपनियों के संगठन सेल्यूलर ऑपरेटर्स एसोसिएशन ऑफ इंडिया (COI) एवं एसोसिएशन ऑफ यूनिफाइड टेलीकॉम सर्विस प्रोवाइडर्स ऑफ इंडिया (AUSPI) ने मीडिया रिपोर्टों के आधार पर ट्राई को पत्र लिखकर कहा था कि कॉल ड्रॉप पर जुर्माने के इस प्रावधान के कारण दूरसंचार कंपनियों को हर साल 10 हजार करोड़ से 54 हजार रुपये का अतिरिक्त भार सहना पड़ सकता है। दोनों संगठनों का मानना था कि इस नियम से कंपनियों एवं उपभोक्ताओं के बीच विवाद बढ़ेंगे जिसके कारण उपभोक्ताओं का भरोसा कंपनियों के प्रति कम होगा।

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