मोदी ने रखी ब्रसेल्स में साख, परमाणु मसले पर भारत मनवा सकता है अपनी बात
मोदी ने रखी ब्रसेल्स में साख, परमाणु मसले पर भारत मनवा सकता है अपनी बात
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एक बार फिर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेश की यात्रा पर रवाना हो गए, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का ब्रसेल्स में दिया गया उद्बोधन बेहद प्रभावी रहा, हालांकि उन पर आरोप भी लगाए गए कि आखिर पीएम भारत के अंदरूनी मामलों को विदेशों में उठाकर राजनीतिक बातें करते हैं मगर भारतीय प्रधानमंत्री के तौर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी भारत की साख को एक बार फिर बनाने में सफल रहे, जिस तरह से उन्होंने बेल्जियम के दर्द को साझा किया और आतंकवाद को लेकर भारतीय समुदाय के बीच चर्चा की, उससे बेल्जियम के लोग भी आतंकवाद के खिलाफ लड़ने के लिए वैश्विक समुदाय के साथ एकजुट हुए।

मोदी के नेतृत्व वाली जिस सरकार की आलोचना हुई उसी सरकार के मजबूत पक्ष को उन्होंने सभी के सामने रखा, उन्होंने देश में किए गए कार्यों और मजबूत अर्थ तंत्र की बात करते हुए यह संदेश दिया कि यदि विदेशी प्रत्यक्ष निवेश भारत में किया जाता है तो वह डूबेगा नहीं, उन्होंने भारतीय बैंकों की कम होती साख को संभाला। विजय माल्या के विदेश चले जाने के आरोपों का बचाव उन्होंने प्रधानमंत्री जन धन योजना की बात करते हुए किया।

प्रधानमंत्री जनधन योजना को उन्होंने अपने लिए ढाल बनाकर पेश किया, इससे भारत की साख बनी। निवेशकों के बीच यह संदेश गया कि यदि बैंकों की राशि चुकाए बिना कोई उद्योगपति विदेश में गया भी है तो भी कई ऐसे भारतीय हैं जिनके जमा धन से भारतीय बैंक मजबूत स्थिति में हैं, ऐसे में भारत में निवेश बढ़ने की संभावनाऐं नज़र आती हैं। ब्रसेल्स के भारतीय भी भारत के मेक इन इंडिया प्रोजेक्ट के तहत निवेश करने के लिए प्रोत्साहित हुए हैं।

हालांकि उन्होंने यहां पर सरकार के कार्यों का बखान किया लेकिन इससे नाॅन रेसिडेंट इंडियन्स के बीच यह संदेश गया कि मोदी सरकार यूं ही नहीं चुनी गई, सरकार पर कितने ही आरोप लगाए जाऐं सरकार विकास के लिए प्रयासरत है, पीएम मोदी ब्रसेल्स की यात्रा समाप्त कर वाॅशिंगटन पहुंच गए, यहां पर परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में वे अन्य देशों के साथ होंगे।

वैश्विक स्तर पर भारत को एक शांतिप्रिय देश माना जाता है, इस देश को लेकर यह भी माना जाता है कि भारत कभी भी परमाणु शक्ति का गलत उपयोग नहीं करेगा, इसलिए इस बात की पूरी संभावना है कि भारत को अपने परमाणु विद्युत संयंत्रों के लिए आवश्यक यूरेनियम की आपूर्ति की जा सकती है, यही नहीं पाकिस्तान के बढ़ने परमाणु परीक्षणों को लेकर भारत को कुछ बल मिल सकता है।

हालांकि पठानकोट हमले के बाद पाकिस्तान द्वारा कुछ सहयोगात्मक रवैया रखने से भारत-पाकिस्तान के रिश्तों में कुछ बदलाव हुआ है लेकिन फिर भी भारत को लेकर पाकिस्तान की अंदरूनी राजनीति और वहां का सैन्य रवैया भारत के विरोध पर परमाणु शक्ति के क्षेत्र में भारत को वैश्विक बल मिलने की संभावना से इन्कार नहीं किया जा सकता।

हालांकि पाकिस्तान यह स्पष्ट कर चुका है कि वह अपने परमाणु जखीरे का उपयोग किसी पर हमले के लिए नहीं करेगा लेकिन सैन्य तख्तापलट से प्रभावित राजनीतिक इतिहास उसके वायदों को कुछ कमजोर करता है, ऐसे में भारत परमाणु सुरक्षा सम्मेलन में एक मजबूत स्थिति में हो सकता है, हालांकि चीन और अन्य देश भारत को उसकी जरूरत हेतु परमाणु समस्थानिक प्रदान करने में रोड़़े अटकाते रहे हैं लेकिन जिस तरह से भारत की वैश्विक स्तर पर साख बनी है उससे यह लगता है कि भारत का मत इस सम्मेलन में महत्वपूर्ण हो सकता है। 

उल्लेखनीय है कि विश्व आतंकवाद के खतरे को झेल रहा है। ऐसे में भारत के प्रधानमंत्री का वक्तव्य कई देशों के लिए महत्वपूर्ण हो सकता है, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की विदेश यात्राओं से भारत को हर बार एक नया बल मिलता है, ऐसे में देश की साख वैश्विक तौर पर ऊंची उठती है, हालांकि भारत अपने इस रूख पर कायम रह सकता है कि परमाणु सैन्य प्रसार संधि अर्थात सीटीबीटी पर वह हस्ताक्षर नहीं करेगा। दरअसल भारत नहीं चाहता कि वह इस तरह के किसी भी करार को करे जिससे उसकी सुरक्षा में कोई कमजोरी हो।

हालांकि भारत यह भी स्पष्ट कर चुका है कि वह सैन्य उपयोग के लिए अपनी परमाणु शक्ति का उपयोग नहीं करता है, वह इससे अपनी ऊर्जा जरूरतों की पूर्ति करता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की वैश्विक साख से विश्व के नेता भारत का इस संदर्भ में पक्ष समझ सकेंगे और भारत संभवतः यहां भी सफल होगा, ऐसे में नमो मंत्र से भारत को विश्व में भी मदद मिलती नज़र आ रही है। 

'लव गडकरी'

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