नई दिल्ली : आर्थिक विकास दर घटने से 3.9 फीसदी वित्तीय घाटे का लक्ष्य हासिल करना कठिन हो जाएगा। यह बात शुक्रवार को संसद में पेश की गई मध्यावधि समीक्षा में कही गई है। केंद्रीय वित्त मंत्रालय द्वारा पेश समीक्षा में कहा गया है, अनुमान से कम विकास दर रहने से वित्तीय घाटे का लक्ष्य 0.2 फीसदी बढ़ जाएगा। समीक्षा के मुताबिक, परीत बाजार परिस्थितियों में विनिवेश से कम आय होने के कारण चुनौती और कठिन हो जाएगी।
सरकार की विनिवेश सूची में अधिकतर कंपनियां कमोडिटी क्षेत्र की हैं, जिसमें अभी सुस्ती चल रही है। सरकार ने कहा कि अगले साल के लिए 3.5 फीसदी वित्तीय घाटा के लक्ष्य पर पुनर्विचार किया जा सकता है, क्योंकि बेहतर वित्तीय स्थिति के कारण मौजूदा वित्त वर्ष में विकास दर में सुधार हुआ है। समीक्षा में कहा गया है, विकास दर का सिर्फ निजी खपत और सरकारी खर्च पर निर्भर होना चिंताजनक है। वेतन वृद्धि पर सरकारी खर्च बढ़ने से अगले कारोबारी साल की योजना प्रभावित होगी।
केंद्रीय वित्तमंत्री अरुण जेटली ने फरवरी में पेश बजट में वित्तीय घाटा को तीन फीसदी पर लाने की समय सीमा एक साल आगे बढ़ा दी थी और कहा था कि पुरानी समय सीमा पर अड़ने से विकास दर प्रभावित हो सकती है। नई समय सीमा के मुताबिक, 2015-16 के लिए 3.9 फीसदी, 2016-17 के लिए 3.5 फीसदी और 2017-18 के लिए तीन फीसदी वित्तीय घाटा लक्ष्य तय किया गया है।