मेवाती मुसलमान नहीं जाना चाहते थे पाकिस्तान
मेवाती मुसलमान नहीं जाना चाहते थे पाकिस्तान
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नूह। देश के पूर्व उपप्रधानमंत्री सरदार वल्लभभाई पटेल की पुण्यतिथि पर आज उन्हें याद किया गया। इस दौरान कई स्थानों पर विभिन्न कार्यक्रमों का आयोजन हुआ। इसी बीच कुछ लोगों ने सरदार पटेल द्वारा मेवाती मुसलमानों के लिए किए जाने वाले कार्य का उल्लेख किया। जिसके तहत बताया गया कि विभाजन के दौरान मेवाती मुसलमानों को जबर्दस्ती पाकिस्तान भेजा जा रहा था। मगर वर्ष 1947 के बंटवारे के दौरान वे ऐसा नहीं चाहते थे। उनका मानना था कि वे भारत में रहना चाहते हैं. इस मामले में मेवाती मुसलमानों ने हाजी हिमता मेव के नेतृत्व में दिल्ली दरबार में सरदार बल्लभ भाई पटेल के समक्ष अपनी बात रखी थी।

उन्होंने कहा कि, प्यार, देशभक्ति और देश की मिट्टी से लगाव को देखकर सरदार पटेल ने स्वाधीन भारत के कानून में संशोधन किया। इसके कारण 19 दिसंबर 1947 को महात्मा गांधी मेवात के घासेड़ा गांव में पहुंचे और उन्होंने मेवातियों को पूर्ण सुरक्षा व समानता की गारंटी प्रदान की।

19 दिसंबर को मेवात दिवस के रूप में मनाकर इस दिन हाजी हिमता को श्रद्धांजलि दी जाएगी। बाद में मेवात दिवस तक मनाया जाने लगा जो कि प्रतिवर्ष 19 दिसंबर को सेलिब्रेट किया जाता है। सबसे पहले यह कार्यक्रम 19 दिसंबर को हाजी हिमता मेव के पैतृक गांव शेखपुर अहीर तिजाराए अलवर में मनाने का फैसला लिया गया। मेवात विकास सभा की नूह रेस्ट हाउस में मेवात विकास सभा की तैयारी मीटिंग हुई।

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