आज जरूर करें श्री विष्णु और माता तुलसी की यह आरती
आज जरूर करें श्री विष्णु और माता तुलसी की यह आरती
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कार्तिक मास की शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को देवउठनी एकादशी के रूप में मनाया जाता है। इसी के साथ इसको देवोत्थान एकादशी, हरि प्रबोधनी एकादशी भी कहते हैं। आपको बता दें कि इस साल देवउठनी एकादशी आज 4 नवंबर 2022 को है। वहीं देवउठनी एकादशी के अगले दिन तुलसी विवाह किया जाता है। अब हम आपको बताते हैं श्री विष्णु और माँ तुलसी की आरती।


श्री विष्णु भगवान की आरती-
ॐ जय जगदीश हरे,
स्वामी जय जगदीश हरे
भक्त जनों के संकट,
दास जनों के संकट,
क्षण में दूर करे ||
 
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
मात पिता तुम मेरे,
शरण गहूं मैं किसकी
स्वामी शरण गहूं मैं किसकी
तुम बिन और न दूजा,
आस करूं मैं जिसकी ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम पूरण परमात्मा,
तुम अंतर्यामी
स्वामी तुम अंतर्यामी
पारब्रह्म परमेश्वर,
तुम सब के स्वामी ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम करुणा के सागर,
तुम पालन कर्ता
स्वामी तुम पालन कर्ता
मैं मूरख खल कामी ,
कृपा करो भर्ता ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
तुम हो एक अगोचर,
सबके प्राणपति,
स्वामी सबके प्राणपति,
किस विधि मिलूं दयामय,
तुमको मैं कुमति ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
दीनबंधु दुखहर्ता,
ठाकुर तुम मेरे,
स्वामी ठाकुर तुम मेरे
अपने हाथ उठा‌ओ,
द्वार पड़ा मैं तेरे ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
विषय विकार मिटा‌ओ,
पाप हरो देवा,
स्वामी पाप हरो देवा,
श्रद्धा भक्ति बढ़ा‌ओ,
संतन की सेवा ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
श्री जगदीश जी की आरती,
जो कोई नर गावे,
स्वामी जो कोई नर गावे।
कहत शिवानन्द स्वामी,
सुख संपत्ति पावे ||
 
|| ॐ जय जगदीश हरे ||
 
॥ इति श्री विष्णु आरती॥
 

4 नवंबर को है देवउठनी एकादशी, जानिए पूजा विधि और नियम

माँ तुलसी की आरती-

जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥
सब योगों से ऊपर,
सब रोगों से ऊपर ।
रज से रक्ष करके,
सबकी भव त्राता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥

बटु पुत्री है श्यामा,
सूर बल्ली है ग्राम्या ।
विष्णुप्रिय जो नर तुमको सेवे,
सो नर तर जाता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥

हरि के शीश विराजत,
त्रिभुवन से हो वंदित ।
पतित जनों की तारिणी,
तुम हो विख्याता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥

लेकर जन्म विजन में,
आई दिव्य भवन में ।
मानव लोक तुम्हीं से,
सुख-संपति पाता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥

हरि को तुम अति प्यारी,
श्याम वर्ण सुकुमारी ।
प्रेम अजब है उनका,
तुमसे कैसा नाता ॥
हमारी विपद हरो तुम,
कृपा करो माता ॥
॥ जय तुलसी माता।।।॥

जय जय तुलसी माता,
मैया जय तुलसी माता ।
सब जग की सुख दाता,
सबकी वर माता ॥

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