नई दिल्ली : शुक्रवार से भारतीय वायुसेना का विमान एएन 32 लापता है और अब तक उसका कोई सुराग नहीं मिल पाया है। पांचवे दिन भी जारी सर्च ऑपरेशन के दौरान इसका दायरा 300 नॉटिकल माइल से बढ़ाकर 360 एनएल कर दिया गया। मंगलवार को रक्षा मंत्री मनोहर पर्रिकर ने कहा कि अब तक जो भी सबूत मिले है, वो किसी अनहोनी की ओर इशारा कर रहे है।
पर्रिकर ने कहा कि सर्च ऑपरेशन में कई तरह के संसाधन लगाए गए है। हम कुछ क्षेत्रों से आई आवाजों और कड़ियों पर ध्यान केंद्रित कर रहे है, लेकिन कई ऐसे सबूत है, जो गुमराह कर रहे है। उन्होंने बताया कि राष्ट्रीय समुद्र प्रौद्योगिकी संस्थान के हिम श्रेणी के अत्याधुनिक पोत सागर निधि को मॉरिशस से बुलाया गया है।
आगे उन्होने बताया कि मॉरीशस से पोत पहुंच जाएगा, लेकिन गहरे पानी में काम करने वाले पोत को भी एक निर्दिष्ट क्षेत्र की जरुरत होती है। एएन32 विमान चेन्नई से पोर्ट ब्लेयर जाने के दौरान ही लापता हो गया था। बचाव अभियान में एक पनडुब्बी, 8 विमान और 13 पोतों को लगाया गया है। इस विमान में कुल 29 लोग सवार थे।
जिसमें भारतीय वायुसेना के 12 जवान, 6 क्रू मेंबर, 1 नौसैनिक, 1 सेना का जवान और एक ही परिवार के 8 सदस्य मौजूद थे। विमान चेन्नई के पास स्थित तंबारम एयरबेस से सुबह 8.30 बजे पोर्ट ब्लेयर के लिए निकला था। 23 हजार फुट से अचानक विमान की ऊंचाई में कमी आई। विमान को सुबह 11.15 बजे पोर्य ब्लेयर पहुंचना था, जो कि नहीं पहुंचा।
रक्षा मंत्री ने बताया कि विमान व उसमें सवार लोगों को ढुंढने का हर संभव प्रयास किया जा रहा है। उन्होने बताया कि एक पी-8 आई और डोर्नियर को बंगाल की खाड़ी में भेजा गया है। हांला कि प्लेन में एक इमरजेंसी बेकन लोकेटर है, जो कि प्लेन के क्रैश होने की स्थिति में खुद ब खुद सक्रिय हो जाता है, इसलिए नौसेना ने एक पनडुब्बी को यह जानने के लिए पानी के भीतर भेजा है कि लोकेटर से कोई भी ट्रांसमिशन हुआ है क्या। एयरक्राफ्ट से अंतिम बातचीत टेकऑफ के 16 मिनट बाद हुई और तब पायलट ने सबकुछ सामान्य होने की बात कही थी।
1999 में भी एएन32 दिल्ली एय़रपोर्ट पर लैंट करने से पहले ही क्रैश हो गया था। एएन32 रुस निर्मित विमान है। 100 से भी अधिक एएन32 फिलहाल भारतीय सेना में एक्टिव है। इन विमानों की खासियत है कि यह चार घंटे तक दोबारा ईंधन भरे बगैर भी उड़ सकते हैं और यह हर मौसम के लिए उपयुक्त होते हैं।