धर्म बदलकर अपनाया इस्लाम, अब चाहिए पिछड़ी जाति का लाभ.., पढ़ें मद्रास HC का फैसला
धर्म बदलकर अपनाया इस्लाम, अब चाहिए पिछड़ी जाति का लाभ.., पढ़ें मद्रास HC का फैसला
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चेन्नई: धर्मांतरण करने के बाद भी जाति का लाभ लेने को लेकर मद्रास उच्च न्यायालय ने एक अहम फैसला सुनाया है। हाई कोर्ट ने कहा है कि जब तक राज्य सरकार की तरफ से स्पष्ट अनुमति न हो, कोई भी व्यक्ति धर्मांतरण के बाद अपनी जाति का फायदा नहीं ले सकता है। दूसरी तरफ इलाहाबाद उच्च न्यायालय की लखनऊ बेंच ने जाति के नाम पर होने वाली रैलियों को लेकर नोटिस जारी करते हुए पूछा है कि क्यों नहीं इस पर स्थायी रूप से रोक लगा दी जाए।

इलाहाबाद हाई कोर्ट ने क्या कहा :-

इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने इस संबंध में उत्तर प्रदेश के 4 प्रमुख सियासी दलों को नोटिस भी जारी किया है। इनमे भाजपा, कांग्रेस, समाजवादी पार्टी (सपा) और बहुजन समाज पार्टी (बसपा) का नाम शामिल है। उच्च न्यायालय ने अपने नोटिस में पूछा है कि जातियों के नाम पर होने वाली रैलियों पर हमेशा के लिए रोक क्यों न लगा दी जाए? साथ ही यह भी पूछा गया है कि इस नियम को तोड़ने वालों पर निर्वाचन आयोग क्यों न कार्रवाई करे? चीफ जस्टिस राजेश बिंदल और जस्टिस जसप्रीत सिंह की बेंच ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए नोटिस जारी किया है। याचिकाकर्ता वकील मोतीलाल यादव ने जाति आधारित रैलियों को अलोकतांत्रिक करार देते हुए रोक की माँग की है। 11 जुलाई 2013 के एक आदेश में उच्च न्यायालय ने ऐसी रैलियों पर अंतरिम रोक लगा दी थी। मगर, इतने साल बीतने के बाद भी उस वक़्त जारी नोटिस पर न तो किसी सियासी दल ने और न ही निर्वाचन आयोग ने कोई प्रतिक्रिया दी है।

क्या है मद्रास हाई कोर्ट का फैसला:-

वहीं मद्रास उच्च न्यायालय ने एक याचिका पर सुनवाई के दौरान स्पष्ट कर दिया है कि धर्म परिवर्तन कर चुका व्यक्ति अपनी पुरानी जाति के आधार पर लाभ का दावा नहीं कर सकता। यह आदेश उस शख्स की याचिका पर आया है जिसने 2008 में इस्लाम कबूल लिया था। धर्मांतरण से पहले वह अति पिछड़ी जाति से संबद्ध था। तमिलनाडु लोक सेवा आयोग ने उसे उसकी पिछली जाति का लाभ देने से साफ मना कर दिया था। इसके खिलाफ उसने कोर्ट का दरवाजा खटखटाया था।

मीडिया रिपोर्ट के अनुसार, तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के फैसले को अकबर अली ने उच्च न्यायालय में चुनौती दी थी। न्यायमूर्ति जीआर स्वामीनाथन ने तमिलनाडु लोक सेवा आयोग के फैसले को उचित ठहराया। उन्होंने इस संबंध में सर्वोच्च न्यायालय के समक्ष लंबित याचिका का जिक्र भी किया। साथ ही तमिलनाडु सरकार के उन आदेशों का भी हवाला दिया, जिनके अनुसार, धर्मांतरण कर इस्लाम कबूलने वाले व्यक्ति को ‘अन्य श्रेणी’ में माना जाएगा।

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