इन मंत्रों से कात्यायनी माता को करें प्रसन्न
इन मंत्रों से कात्यायनी माता को करें प्रसन्न
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आषाढ़ महीने की गुप्त नवरात्रि 19 जून से आरम्भ हो गई है. वही गुप्त नवरात्रि के दौरान 10 महाविद्याओं की पूजा करने का विधान है। आज गुप्त नवरात्रि का छठा दिन हैं, जो मां कात्यायनी को समर्पित हैं इस दिन भक्त देवी मां कात्यायनी की विधिवत पूजा करते हैं तथा व्रत आदि भी रखते हैं किन्तु इसी के साथ ही यदि गुप्त नवरात्रि के चौथे दिन मां कात्यायनी के शक्तिशाली मंत्रों का जाप किया जाए तो देवी मां की कृपा बरसती हैं साथ ही सभी दुख परेशानियां दूर हो जाती हैं तो आज हम आपके लिए लेकर आए हैं माता के चमत्कारी मंत्र।

कात्यायनी माता स्तुति मंत्र:-
नवरात्रि में षष्ठी तिथि को माँ कात्यायनी की पूजा आराधना के लिए इस दिए गए कात्यायनी माता स्तुति मंत्र का जाप करना अत्यंत ही शुभ बहुत मंगलकारी माना गया है.
या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कात्यायनी रूपेण संस्थिता। नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नमः॥

माँ कात्यायनी देवी प्रार्थना मंत्र:-
चन्द्रहासोज्ज्वलकरा शार्दूलवरवाहना।
कात्यायनी शुभं दद्याद् देवी दानवघातिनी॥

कात्यायनी माता ध्यान मंत्र:-
वन्दे वाञ्छित मनोरथार्थ चन्द्रार्धकृतशेखराम्।
सिंहारूढा चतुर्भुजा कात्यायनी यशस्विनीम्॥

स्वर्णवर्णा आज्ञाचक्र स्थिताम् षष्ठम दुर्गा त्रिनेत्राम्।
वराभीत करां षगपदधरां कात्यायनसुतां भजामि॥

पटाम्बर परिधानां स्मेरमुखी नानालङ्कार भूषिताम्।
मञ्जीर, हार, केयूर, किङ्किणि, रत्नकुण्डल मण्डिताम्॥

प्रसन्नवदना पल्लवाधरां कान्त कपोलाम् तुगम् कुचाम्।
कमनीयां लावण्यां त्रिवलीविभूषित निम्न नाभिम्॥

कात्यायनी देवी स्तोत्र:-
कञ्चनाभां वराभयं पद्मधरा मुकटोज्जवलां।
स्मेरमुखी शिवपत्नी कात्यायनेसुते नमोऽस्तुते॥

पटाम्बर परिधानां नानालङ्कार भूषिताम्।
सिंहस्थिताम् पद्महस्तां कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

परमानन्दमयी देवी परब्रह्म परमात्मा।
परमशक्ति, परमभक्ति, कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

विश्वकर्ती, विश्वभर्ती, विश्वहर्ती, विश्वप्रीता।
विश्वाचिन्ता, विश्वातीता कात्यायनसुते नमोऽस्तुते॥

कां बीजा, कां जपानन्दकां बीज जप तोषिते।
कां कां बीज जपदासक्ताकां कां सन्तुता॥

कांकारहर्षिणीकां धनदाधनमासना।
कां बीज जपकारिणीकां बीज तप मानसा॥

कां कारिणी कां मन्त्रपूजिताकां बीज धारिणी।
कां कीं कूंकै क: ठ: छ: स्वाहारूपिणी॥

माँ कात्यायनी कवच मंत्र:-
कात्यायनौमुख पातु कां स्वाहास्वरूपिणी।
ललाटे विजया पातु मालिनी नित्य सुन्दरी॥
कल्याणी हृदयम् पातु जया भगमालिनी॥

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