महुआ मोइत्रा ने अपराध से जुड़े मामले को लेकर कही ये बात
महुआ मोइत्रा ने अपराध से जुड़े मामले को लेकर कही ये बात
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संसद में सवाल पूछने के लिए रिश्वत लेने के केस में तृणमूल कांग्रेस सांसद महुआ मोइत्रा 2 नवंबर को लोकसभा की आचार समिति के सामने पेश होने वाली है। इससे पहले TMC सांसद ने केस की कार्रवाई कर रही समिति पर ही सवाल पैदा कर दिए है । उन्होंने दावा किया है कि आचार समिति के पास कथित अपराध के आरोपों की कार्रवाई करने का अधिकार नहीं है। उन्होंने कहा कि वह कल समिति के सामने पेश होने पर उन्हें जवाब देने वाली है। समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर को लिखे एक पत्र में मोइत्रा ने दावा किया कि इस शक्ति के अभाव को हमारे देश के संस्थापकों ने जानबूझकर इस तरह से रखा ताकि गवर्नमेंट द्वारा समितियों के दुरुपयोग को रोक सके। उन्होंने केस में लगाए गए आरोपों पर व्यवसायी दर्शन हीरानंदानी से जिरह करने की भी अपनी मांग दोहराई।  खबरों का कहना है कि कारोबारी हीरानंदानी ने यह स्वीकार किया है कि उन्होंने दुबई से सवाल पूछने के लिए मोइत्रा के संसदीय लॉगिन आईडी और पासवर्ड का उपयोग किया।

जांच करने के लिए उचित मंच नहीं:  मोइत्रा ने एक पोस्ट में बोला है कि एथिक्स कमेटी कथित आरोपों की जांच करने के लिए उचित मंच नहीं हो सकती है। संसदीय समितियों में आपराधिक क्षेत्राधिकार का अभाव है। उन्होंने ऐसे केस में कानून प्रवर्तन एजेंसियों को शामिल करने के महत्व पर जोर भी दे दिया है।  उन्होंने आचार समिति के अध्यक्ष विनोद कुमार सोनकर को लिखे पत्र में बोला है कि, 'मैं सम्मानपूर्वक आपको याद दिलाना चाहती हूं कि संसदीय समितियों के पास कथित अपराध की कार्रवाई करने का कोई अधिकार नहीं है। यह केवल कानून प्रवर्तन एजेंसियों द्वारा किया जा सकता है। यह जांच विशेष रूप से हमारे देश के संस्थापकों द्वारा बनाई गई थी ताकि संसद में प्रचंड बहुमत प्राप्त सरकारों द्वारा समितियों के मामूली दुरुपयोग को रोक पाए।’
 
राजनीतिक पक्षपात के लिए कोई जगह नहीं हो: मोइत्रा कल आचार समिति के समक्ष पेश होने वाली है। उन्होंने समिति से यह सुनिश्चित करने को बोला है कि उनके कामकाज में राजनीतिक पक्षपात के लिए कोई स्थान नहीं हो। उन्होंने इल्जाम लगाया कि समिति ने सांसदों के पालन के लिए कोई आचार संहिता नहीं बनाई है। TMC सांसद ने आचार समिति के अध्यक्ष को लिखे पत्र में कहा, 'यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि आज तक आचार समिति ने सदस्यों के लिए कोई आचार संहिता तैयार नहीं की है और वास्तव में समिति की पिछले दो सालों में कोई बैठक भी नहीं हुई है। मैं सम्मानपूर्वक यह बताना चाहती हूं कि आचार संहिता की कमी को देखते हुए यह और भी महत्वपूर्ण है कि प्रत्येक मामले को निष्पक्ष तरीके से निपटा दिया जाए।’

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