जब महात्मा गांधी ने उर्दू में लिखा था पत्र, मौलाना सुलेमान नदवी से कही थी ये बात
जब महात्मा गांधी ने उर्दू में लिखा था पत्र, मौलाना सुलेमान नदवी से कही थी ये बात
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नई दिल्ली : महात्मा गाँधी का नाम तो देश का बच्चा-बच्चा जानता है, किन्तु कई लोग ये बात नहीं जानते होंगे कि उन्होंने उर्दू में एक खत भी लिखा था, जो आज भी धरोहर के रूप में संजो कर रखा हुआ है. इस पत्र के बारे में हम आपको बताना चाहेंगे, जो बापू ने अपने हाथ से लिखा हुआ था. ये उर्दू पत्र वर्ष 1930 में लिखा गया था।  बापू ने यह पत्र उस वक़्त 26 और 27 फरवरी को दिल्ली में आयोजित हिंदुस्तानी प्रचार सभा की बैठक में मौलाना सुलेमान नदवी को निमंत्रित करने हेतु लिखा था. 

बता दें कि, गांधीजी का ये पत्र आजमगढ़ की शिब्ली एकेडमी में सुरक्षित रखा हुआ है, जो बेहद दुर्लभ भी बताया जा रहा है. बता दें कि साल 1929 में बापू शिब्ली कॉलेज में आये हुए थे. जब गांधीजी, यहां पहुंचे थे तब मगरिब की नमाज पढ़ी जा रही थी. जिसके चलते गांधीजी वहीं बैठ गए और लोगों से मुलाकात की, इस बीच जब एक व्यक्ति ने गांधी जी से ऑटोग्राफ मांगा तो बापू ने उर्दू भाषा में ऑटोग्राफ दिया था, जिससे लोग भी काफी प्रभावित हुए थे. 

इस उर्दू पत्र में लिखा था कि - 'भाई साहब, 26 और 27 फरवरी को दिल्ली में हिन्दुस्तानी प्रचार सभा की कॉन्फ्रेंस होने को है. मैं चाहता हूं कि इसमें आप भी शामिल हों, और इस सवाल को सुलझाने में हिस्सा लें. मुझे आशा है कि आप जरूर आएंगे. आप आने की तारीख और वक्त की खबर देंगे. आपका मिनकाफ गांधी.' यह पत्र बेहद ही दुर्लभ बताया जा रहा है जिसे अब भी संग्रहालय में संभालकर रखा गया है.

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