खुद महादेव करते है भारत के इस मंदिर की रक्षा
खुद महादेव करते है भारत के इस मंदिर की रक्षा
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महाशिवरात्रि, एक ऐसा पर्व जिसका हर हिन्दू भक्त को बेसब्री से इंतजार रहता है वही ये पर्व हिन्दू परंपरा का एक बहुत बड़ा पर्व है। यह त्योहार फाल्गुल कृष्ण चतुर्दशी पर मनाया जाता है। ऐसा कहा जाता हैं कि इस दिन महादेव का विवाह हुआ था। भगवान शिव की आराधना से व्यक्ति को जीवन में सम्पूर्ण सुख प्राप्त हो सकता है। इस दिन देश के तमाम शिव मंदिरों में श्रद्धालुओं की भारी भीड़ रहती है। सबसे विशेष ज्योतिर्लिंगों के दर्शन करने के लिए लोगों का सैलाब उमड़ पड़ता है। वहीं महाशिवरात्रि से पहले आज हम एक ऐसे महादेव मंदिर की बात करते हैं, जिसके एक बार भी दर्शन कर लेने से व्‍यक्ति को दोबारा जन्‍म नहीं लेना पड़ता है। क्योंकि यह मंदिर मोक्ष दिलाने वाला है तथा यह मंदिर है काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग। आप सभी को बता दें कि बनारस/काशी में स्थित काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर शिवपुराण में उल्‍लेख है कि जब प्रलयकाल में पूरे संसार का नाश हो जाता है, उस वक़्त भी काशी नगर अपने स्थान पर ही रहता है।

बताया जाता है प्रलय आने पर महादेव इस नगर को अपने त्रिशूल पर धारण कर लेते हैं तथा सृष्टि काल आने पर इसे नीचे उतार देते हैं। इसका अर्थ है कि महादेव स्वयं इस नगर की रक्षा करते हैं। सिर्फ यही नहीं बल्कि धर्म ग्रंथों में यह भी उल्‍लेख है कि काशी में प्राण त्याग वाले व्‍यक्ति को जन्म-मरण के बंधन से मुक्ति मिल जाती है। बता दें कि काशी विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग को लेकर पुराणों में कहा गया है कि महादेव एवं माता पार्वती का विवाह होने के बाद भी माता पार्वती अपने पिता के घर पर ही रहती हैं। 

वही ऐसे में एक बार उन्‍होंने अपने पति महादेव से कहा कि वे उन्‍हें अपने साथ ले जाएं। इसके बाद महादेव माता पार्वती को लेकर इसी पवित्र नगरी काशी में लाए थे एवं यहां आकर वो विश्वनाथ-ज्योतिर्लिंग के तौर पर स्थापित हो गए। कहा जाता है इस ज्योतिर्लिंग के दर्शन मात्र से ही व्‍यक्ति के सारे पाप नष्‍ट हो जाते हैं। आपको बता दें कि इस मंदिर का शिखर 51 फीट ऊंचा है तथा इस पर इंदौर की महारानी अहिल्याबाई होल्कर ने 1777 में पांच पंडप बनवाए थे। उसके बाद में 1853 में पंजाब के राजा रणजीत सिंह ने मंदिर के शिखरों को 22 टन सोने से स्वर्णमंडित करवाया था।

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