मैगी प्रकरण से उजागर पैक्ड फूड्स का गोरखधंधा, उभरे कई सवाल
मैगी प्रकरण से उजागर पैक्ड फूड्स का गोरखधंधा, उभरे कई सवाल
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क्या नैस्ले अकेली कंपनी है जो विज्ञापनों से हमे बेवकूफ बना रही है ?

पिछले दिनों नैस्ले इंडिया जैसी बड़ी मल्टीनेशनल कंपनी के प्रसिद्ध उत्पाद मैगी नूडल्स में जांच के दौरान कुछ हानिकारक पदार्थ स्वीकार्य मात्रा से अधिक पाये गए और सौभाग्य से मामला रफा-दफा नहीं हुआ । बल्कि संबन्धित सरकारों व मीडिया ने और फिर केंद्र सरकार ने भी इसे गंभीरता से लिया । बात यहाँ तक पहुंची कि कंपनी की विभिन्न राज्यों मे स्थित सभी नूडल्स उत्पादक इकाइयों से और रीटेल दूकानों से भी नमूने लेकर जांच होने लगी । जांच मे अब तक सभी जगह यही पाया गया कि मैगी में मोनो-सोडियम ग्लूटामेट और सीसा (लेड) की मात्रा मान्य स्तर से अधिक है । 

कंपनी तो अभी भी इस बात से इंकार कर रही है, किन्तु अपनी-अपनी जांच के आधार पर अब तक केरल और दिल्ली की सरकारें मैगी के क्रय-विक्रय पर अस्थायी रोक लगा चुकी है । पंजाब, हरियाणा, उत्तराखंड, गुजरात, उड़ीसा, बिहार,असाम और तमिलनाडु; आठ राज्यों ने कहा है कि वे कई जगहो से नमूने लेकर जांच करवा रहे है और यदि गड़बड़ साबित होती है तो सख्त कार्यवाही होगी। बिहार में तो पुलिस कंपनी के अधिकारियों व ब्रांड-अंबासडरों यानि अमिताभ, माधुरी और प्रीति जिंटा जैसे बड़े सितारों के खिलाफ एफ़आईआर दर्ज करके फ़ौजदारी तक करने की तैयारी कर रही है । ऐसे में कुछ अटपटी बात यह है कि उत्तरप्रदेश, जहां से सबसे पहले जांच करके फूड सेफ़्टी ऑफ स्टैंडर्ड्स अथॉरिटी ऑफ इंडिया (एफ़एसएसएआई) ने यह गड़बड़ पाई थी वहाँ की सरकार की ओर से कोई ठोस कार्यवाही की खबर नहीं आई है। पश्चिम बंगाल अभी अफसरो के साथ बैठक लेकर अपनी कार्यवाही तय करेगा । उल्लेखनीय तो यह भी है कि केन्द्रीय खाद्य एवं आपूर्ति मंत्री रामविलास पासवान भी हर स्तर पर जांच करवाने और फिर कड़ी सजा दिलवाने तक की बात कह रहे है । 

अब इस मामले के तूल पकड़ने के कारण सबसे अच्छा परिणाम तो यह हुआ है कि सबका ध्यान पैक्ड फूड पदार्थों के बड़े कारोबार की अन्य कई अनदेखी गडबड़ियों की ओर भी गया है और इस पर कई तरह के सवाल उठ खड़े हुए हैं । बात केवल कुछ पदार्थो की अमान्य मात्रा पाये जाने तक सीमित नहीं रहा, अब यह भी पूछा जा रहा है कि क्या मैदे से बने ये ‘दो मिनट मे तैयार’ इंस्टेंट फूड हमारे बच्चों व बड़ो को वांछित पोषण दे सकते है या वे हमारे लोगों खासकर भावी पीढ़ी का स्वास्थ्य बिगाड़ने का काम कर रहे हैं ? 

दूसरा बड़ा प्रश्न यह है कि ये बड़ी कंपनियाँ, विज्ञापनों पर करोड़ों नहीं अरबों रुपये खर्च करके अपने उत्पादों के बारे मे गलत दावे करती है या उनकी लुभावनी छवि बनाती है, लेकिन उनके उत्पादों का असर उल्टा ही होता है । खाद्य पदार्थो के अलावा कस्मेटिक्स और टोनिक्स या अन्य तरह की शक्ति या सौंदर्यवर्धक वस्तुओं के मामलो मे ऐसा बहुत हो रहा है। अन्य उत्पादो मे कुछ अलग तरह की मार्केटिंग से होता है । तो अब सवाल यह है कि इस धोखाघड़ी के विशाल कारोबार पर सरकार क्या-क्या कदम उठाएगी ? क्योंकि यह मामला केवल नैस्ले कंपनी का ही नहीं है उपभोक्ताओं के साथ ऐसा खिलवाड़ तो कई कंपनीयां कर रही है । हमारे सेलेब्रिटीज इसके खास माध्यम बनते है, और उनके दीवाने लोग बरसों से बेवकूफ बनते रहे है । सरकार को तो इस बहुत व्यापक धोखाघड़ी पर सम्पूर्ण और स्थायी कार्यवाही करना ही चाहिए । पर अधिक जरूरी है कि उपभोक्ता भी अब अधिक समझदार बने, सितारों की बातों पर नहीं, खुद के विवेक और अनुभव पर अधिक भरोसा करे ।                 
  
      

 

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