भूख के सामने बेबस हुई बच्ची ने मंदिर से चुराए पैसे, लेकिन नहीं पसीजा पुलिस का दिल....
भूख के सामने बेबस हुई बच्ची ने मंदिर से चुराए पैसे, लेकिन नहीं पसीजा पुलिस का दिल....
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हमेशा से हम सुनते आए हैं कि पूरी दुनिया में इतना बड़ा गुनाह कोई दूसरा नहीं है, जितना कि गरीब होना। गरीब की दो रोटी की भूख भी गुनाह बन जाता है और अमीर चाहे खून की नदियां बहा दे, फिर भी कोई चर्चा नहीं होती। कुछ लोगों में संवेदनहीनता इतनी बढ़ गई है कि अब उन्हें भूखा पेट, रोती आंखें, मुरझाया हुआ चेहरा और हड्डियों का ढांचा बन चुका शरीर भी नज़र नहीं आता। इसी संवेदनहीनता की पराकाष्ठा को प्रदर्शित करता एक शर्मनाक वाकया मध्य प्रदेश के सागर जिले से सामने आया है। जहाँ एक 12 वर्षीय मासूम को चोरी के आरोप में गिरफ्तार करके 450 किमी दूर बाल सुधारगृह में भेज दिया गया।  

दरअसल, ये मासूम अपनी माँ के गुजर जाने के बाद अपने दो छोटे भाइयों की देखभाल करते हुए, मजदूर पिता के साथ एक झोपडी में गुजरा करती है। बच्ची के पिता ने उसे 10 किलो गेहूं पिसवा कर लाने को दिए थे, जिसे बच्ची आटा चक्की पर देकर वापस आ गई। जब बच्ची कुछ देर बाद वापस आटा लेने वहां पहुंची तो दुकानदार ने बच्ची से कहा कि उसकी आते की थैली गुम हो गई है। इतना सुनते ही बच्ची के पैरों तले से जमीन खिसक गई, उसकी आँखों के सामने नन्हे भाइयों और पिता की तस्वीर घूमने लगी, जो रोटी के लिए उसका इंतज़ार कर रहे थे। जब बच्ची को कुछ समझ ना आया तो उसने पास के मंदिर की दान पेटी से 250 रुपए निकाल लिए और अपने परिवार के लिए 10 किलो आटा खरीद लिया। लेकिन पैसे निकालने का ये पूरा दृश्य मंदिर में लगे CCTV कैमरे में कैद हो गया। इसके बाद शुरू हुआ बरसों से चला आ रहा पूंजीवाद और भूख के बीच का घिनोना खेल। मंदिर प्रशासन की शिकायत पर पुलिस ने बच्ची पर चोरी और गृह भेदन की धाराओं के तहत FIR दर्ज कर उसे गिरफ्तार कर लिया। इसके बाद मासूम को किशोर न्यायालय मे पेश किया, लेकिन उस दिन पीठासीन अधिकारी छुट्टी पर थे, इसलिए पुलिस ने उसे 450 किमी दूर बाल सुधारगृह भेज दिया। 

लेकिन, कहते हैं ना दुनिया में भले ही अन्धकार अपने चरम पर पहुंच गया हो, लेकिन उसे मिटाने के लिए एक चिराग की रौशनी ही काफी होती है। इस मामले में भी बच्ची के लिए स्वयं सागर कलेक्टर प्रीति मैथिल नायक वो चिराग बनकर आईं। कलेक्टर प्रीती को जब इस बात का पता चला, तो वे खुद जिला कोर्ट पहुंची और बच्ची की जमानत करवाई। इतना ही नहीं उन्होंने बच्ची के पिता को भी 10 हज़ार रुपए दिए, ताकि वे 450 किमी दूर शहडोल जाकर अपनी बेटी को वापस ला सकें। लेकिन रूह को कंपा देने वाले इस मामले में पुलिस का जो क्रूर चेहरा सामने आया है, उसे देखकर यह मानने का दिल नहीं करता कि वास्तव में पुलिस जनता की सुरक्षा के लिए बनाई गई है। 

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