नवरात्र के चौथे दिन करें माँ कुष्मांडा स्त्रोत और कवच का जाप
नवरात्र के चौथे दिन करें माँ कुष्मांडा स्त्रोत और कवच का जाप
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आप सभी को बता दें कि आज नवरात्रि का चौथा दिन हैं. ऐसे में इस दिन माँ कुष्मांडा की पूजा करते हैं और इस दिन माँ को खुश करने के लिए आपने उनके मंत्र, उनकी आरती, उनके ध्यान, उनके स्त्रोत, उनके कवच का पाठ कर सकते हैं. अगर आप आज के दिन माँ के कवच का पाठ पांच बार करते हैं तो बड़ा लाभ पा सकते हैं. आइए आज हम आपको बताते हैं उनके मंत्र, उनके ध्यान, उनके स्त्रोत, उनके कवच को.

कुष्मांडा मंत्र -


या देवी सर्वभू‍तेषु माँ कूष्माण्डा रूपेण संस्थिता।

नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमस्तस्यै नमो नम:।।

ध्यान -

वन्दे वांछित कामर्थे चन्द्रार्घकृत शेखराम्।

सिंहरूढ़ा अष्टभुजा कूष्माण्डा यशस्वनीम्॥

भास्वर भानु निभां अनाहत स्थितां चतुर्थ दुर्गा त्रिनेत्राम्।

कमण्डलु, चाप, बाण, पदमसुधाकलश, चक्र, गदा, जपवटीधराम्॥

पटाम्बर परिधानां कमनीयां मृदुहास्या नानालंकार भूषिताम्।

मंजीर, हार, केयूर, किंकिणि रत्नकुण्डल, मण्डिताम्॥

प्रफुल्ल वदनांचारू चिबुकां कांत कपोलां तुंग कुचाम्।

कोमलांगी स्मेरमुखी श्रीकंटि निम्ननाभि नितम्बनीम्॥

स्तोत्र पाठ- 

दुर्गतिनाशिनी त्वंहि दरिद्रादि विनाशनीम्।

जयंदा धनदा कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

जगतमाता जगतकत्री जगदाधार रूपणीम्।

चराचरेश्वरी कूष्माण्डे प्रणमाम्यहम्॥

त्रैलोक्यसुन्दरी त्वंहिदुःख शोक निवारिणीम्।

परमानन्दमयी, कूष्माण्डे प्रणमाभ्यहम्॥

कवच -

हंसरै में शिर पातु कूष्माण्डे भवनाशिनीम्।

हसलकरीं नेत्रेच, हसरौश्च ललाटकम्॥

कौमारी पातु सर्वगात्रे, वाराही उत्तरे तथा,पूर्वे पातु वैष्णवी इन्द्राणी दक्षिणे मम।

दिगिव्दिक्षु सर्वत्रेव कूं बीजं सर्वदावतु॥

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