सेन फ्रांसिस्को: प्रेग्नेंसी एक अभूत पूर्व यात्रा होती है, ऐसे में कोई भी मां अपने बच्चे को किसी भी प्रकार की क्षति से बचाती है. वैसे तो विटामिन ई सभी के स्वास्थय के लिए अनिवार्य होता है, लेकिन जब बात गर्भ में पल रहे शिशु की हो तो, यह और अधिक महत्वपूर्ण हो जाता है।
यह शरीर के अनेक अंगो को सामान्य रखने में अहम भूमिका निभाता है. विटामिन ई की कमी से विकासशील भ्रूण में मस्तिष्क संबंधी क्षति और शारीरिक असामान्यताएं और भ्रूण की मौत तक हो सकती है. यह कहना है अमेरिका की ओरेगन स्टेट यूनिवर्सिटी के लिनस पॉलिंग संस्थान के शोधार्थियों का।
जिन्होने इस पर एख अध्ययन किया है. शोधार्थियों ने इस अध्ययन को एक जेबरा फिश पर किया. जेबरा फिश एक हट्टी वाली मछली है, जिसकी तंत्रिका मानव अंगो के समान है. इस पर किए गए शोध के निष्कर्ष बताते हैं कि विटामिन-ई डोकोसेहेक्सॉनिक एसिड (डीएचए) के स्तरों को सुरक्षा प्रदान करता है।
इसकी कमी में डीएचए के स्तर प्रभावित होते हैं, और तंत्रिका तंत्र की क्षति का कारण बनते हैं. डीएचए ओमेगा-3 फैटी एसिड में सबसे महत्वपूर्ण माना जाता है. विकासशील भ्रूण में डीएचए कोशिका संकेतन और झिल्ली के विकास का काम करती है।
विटामिन ई का सबसे सामान्य स्त्रोत बादाम, बीज, पत्तेदार सब्जियों जैसे पालक, सूरजमुखी व कनोला जैसे वनस्पति तेल है।