भारतीय सेना भारत की रक्षा पंक्ति का अग्रिम मोर्चा। आमतौर पर सेना के जवान चाहे जैसी भी परिस्थिति हो भारत की रक्षा के लिए डंटे रहते हैं। ये जवान हजारों फीट की ऊंचाई पर बर्फीले पहाड़ों पर रहते हैं तो रेगिस्तान में विषम परिस्थितियों में रहना इनकी आदत में शामिल हो जाता है। अपने परिवार से दूर और आम रिहायशी क्षेत्रों से अलग - थलग होकर जब ये सीमा की रक्षा करते हैं तो इनका एक ही लक्ष्य होता है सीमा पार से होने वाली किसी भी असंगत गतिविधि को भारत की सीमा में होने देने से रोकना।
ऐसे में इन पर जान का जोखिम भी होता है। मगर इसके बाद भी वे डंटे रहते हैं। इन सैनिकों द्वारा अपने मनोरंजन के लिए कभी ट्रांजिस्टर का उपयोग कर लिया जाता है तो कभी साथियों के बीच ही ये लोग अपनी रूचियों को पूरा कर लेते हैं। हां, सैकड़ों फीट की ऊंचाई पर रेंज में व्हालीबाॅल खेलना इनका पसंदीदा खेल होता है। इसमें ये पूरी तल्लीनता रखते हैं।
अपनी जान की परवाह किए बिना सीमाओं की रक्षा करने वाले इन प्रहरियों के साथ यदि देश का प्रधानमंत्री अपना कीमती समय बिताता है तो इनका मनोबल बढ़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भी कुछ ऐसी ही पहल की है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अपना जन्मदिन भारतीय सेना के जवानों के बीच मनाया। उन्होंने दीपावली भी भारतीय सेना के जवानों के बीच मनाई और अब भारत की कच्छ रण सीमा से करीब 113 किलोमीटर दूर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अर्द्धसैनिक बलों और पुलिस बलों के साथ टेंट में ठहरने वाले हैं।
ऐसे में इन प्रहरियों का मनोबल बढ़ना स्वाभाविक है। पीएम मोदी इस सीमा का अवलोकन करने भी जाऐंगे। यहां जवानों से वे चर्चा भी करेंगे। ऐसे में सैनिकों का मनोबल तो बढ़ेगा ही वहीं अपनी सीमाओं की सुरक्षा करने को लेकर भारत का भी मनोबल मजबूत होगा कि सीमा से कुछ किलोमीटर की दूरी पर देश के प्रधानमंत्री ठहरते हैं। भारत उन देशों में से है जिसके लिए पाकिस्तान तो एक बड़ा खतरा है ही मगर चीन भी इसकी सीमाओं पर नज़रे गढ़ाए रहता है।
मोदी के इस कदम से सीमाओं पर अपनों से अलग तैनात जवानों को खुशियों की सौगात मिलेगी। इन जवानों को पीएम मोदी की प्रेरक बातों से हौंसला भी मिलेगा और ये सीमा पर अपनी ड्युटी करने के लिए नए जोश के साथ तैयार होंगे। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की यह बैठक बेहद अहम मानी जा रही है।
'लव गडकरी'