'दुर्गा पूजा की तरह सेक्युलर नहीं है गणेशोत्सव..', बंगाल में प्रशासन की अजीब दलील, हाई कोर्ट ने कहा- भगवान गणेश की क्या गलती ?
'दुर्गा पूजा की तरह सेक्युलर नहीं है गणेशोत्सव..', बंगाल में प्रशासन की अजीब दलील, हाई कोर्ट ने कहा- भगवान गणेश की क्या गलती ?
Share:

कोलकाता: कलकत्ता उच्च न्यायालय ने एक मामले पर सुनवाई करते हुए बेहद अहम टिप्पणी की है। कोर्ट ने कहा है कि धार्मिक त्योहारों का आयोजन करना ‘जीवन के अधिकार’ के विस्तृत छत्र तले आता है। दरअसल, आसनसोल के एक प्लॉट में गणेश चतुर्थी के आयोजन को लेकर श्रद्धालुओं ने उच्च न्यायालय से गुहार लगाई थी। बता दें कि, इसी मैदान में दुर्गा पूजा का आयोजन हो चुका है, साथ ही कई तरह के सरकारी आयोजन भी इस मैदान में हो चुके हैं। ये मामला ‘आसनसोल-दुर्गापुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (ADDA)’ से संबंधित है।

दरअसल, ADDA ने अनुमति मान रहे श्रद्धालुओं से कहा था कि इस जमीन पर गणेशोत्सव नहीं मनाया जा सकता। उनकी दलील थी कि इस जमीन का स्वामित्व उनके पास है और वे इसे गणेश चतुर्थी के आयोजन के लिए नहीं दे सकते। इसके बाद आयोजकों ने हाई कोर्ट का दरवाजा खटखटाया। श्रद्धालुओं ने कोर्ट से गुहार लगाते हुए कहा कि उन्हें गणेश चतुर्थी के लिए इस जमीन का इस्तेमाल करने की अनुमति दी जाए। जहाँ ADDA ने इसका विरोध किया, वहीं पश्चिम बंगाल की ममता बनर्जी सरकार ने कहा कि वो इस माँग पर विचार करेगी।

हालाँकि, कलकत्ता उच्च न्यायालय ने मामले की सुनवाई करते हुए शुक्रवार (8 सितंबर, 2023) को स्पष्ट लहजे में कहा कि ‘आसनसोल-दुर्गापुर डेवलपमेंट अथॉरिटी (ADDA)’ का ये फैसला बिलकुल हास्यास्पद है। साथ ही कोर्ट ने इसे संविधान के अनुच्छेद-14 के खिलाफ भी बताया। उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि इस मैदान पर दुर्गा पूजन की अनुमति दी जा सकती है, जो कि हिन्दुओं का ही त्योहार है, तो फिर अन्य देवी-देवताओं के पूजा-पाठ की मंजूरी क्यों नहीं दी जा सकती है ? वहीं ADDA ने कोर्ट में बेतुकी दलील देते हुए कहा कि अनुच्छेद-25 के तहत सभी लोगों को अपने धर्मों की प्रैक्टिस करने का अधिकार देता है, मगर ये किसी को संपत्ति का अधिकार नहीं देता, जब तक कि वो संपत्ति उनके धर्म से संबंधित ना हो। साथ ही ADDA ने कोर्ट में एक और अजीब दलील दी कि  'बंगाल में गणेश पूजन का उतना चलन नहीं है और ये दुर्गा पूजन की तरह सेक्युलर और बहुसांस्कृतिक व्यवहार वाला त्यौहार नहीं है।' इस पर कोर्ट ने कहा कि, 'पुरुष देवताओं के साथ ये भेदभाव क्यों? इसमें भगवान गणेश की क्या गलती है?' साथ ही हाईकोर्ट ने दुर्गा पूजा की तुलना सरकारी आयोजनों से करने पर भी ADDA को लताड़ लगाई।

कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि जीवन के अधिकार के तहत किसी भी नागरिक को उनकी व्यक्तिगत स्वतंत्रता से वंचित नहीं किया जाना चाहिए। कलकत्ता उच्च न्यायालय ने कहा कि यदि कोई कानूनी प्रक्रिया के खिलाफ जाता है, तभी जाकर उस पर कोई बंदिश लगाई जा सकती हैं। साथ ही हाईकोर्ट ने स्पष्ट किया कि ये मूलभूत अधिकार सभी नागरिकों के लिए है, यहाँ तक कि विदेशियों के लिए भी है। जज सब्यसाची भट्टाचार्जी ने ये फैसला सुनाते हुए कहा कि, संविधान अनुच्छेद-21 के तहत जीवन और पर्सनल लिबर्टी का अधिकार मिलता है।  

आ रही दिवाली, पटाखों पर प्रतिबन्ध लगाने का सिलसिला शुरू, सबसे पहले केजरीवाल सरकार ने किया ऐलान

'अगर G20 डिनर में नहीं जाती ममता बनर्जी, तो कुरान..', बंगाल सीएम पर क्यों भड़की कांग्रेस ?

'विकास की पोल खुल गई, बारिश में धुल गया G20..', जब भारत रच रहा था इतिहास, तब नकारात्मक राजनीति कर रहे थे विपक्षी नेता, Fact Check

 

रिलेटेड टॉपिक्स
- Sponsored Advert -
मध्य प्रदेश जनसम्पर्क न्यूज़ फीड  

हिंदी न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_News.xml  

इंग्लिश न्यूज़ -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_EngNews.xml

फोटो -  https://mpinfo.org/RSSFeed/RSSFeed_Photo.xml

- Sponsored Advert -