जानिए कौन थे तेनजिंग नोर्गे
जानिए कौन थे तेनजिंग नोर्गे
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पर्वतारोही तेनजिंग नोर्गे भारत के उत्तराखंड राज्य में पैदा हुए थे। उनके पिता भी एक पर्वतारोही थे जो उन्हें निरंतर प्रेरित करते थे। तेनजिंग ने अपनी पहली पर्वतारोहण 16 साल की उम्र में की थी। उनके सफलता का संदेश यह है कि संघर्ष के बावजूद हम सफल हो सकते हैं।

उनकी पहली पर्वतारोहण की कहानी: तेनजिंग ने अपनी पहली पर्वतारोहण उम्र 16 साल में की थी। उनका सपना था कि वे पर्वतारोहण करें लेकिन उनके परिवार और अध्ययन के कारण वे इसे करने में असमर्थ थे। उन्होंने अपनी प्रतिभा को नजरअंदाज कर दिया लेकिन बाद में उन्हें पता चला कि उनका सपना पूरा करना बहुत आसान नहीं होगा। उन्होंने संघर्ष और त्याग के माध्यम से अपने सपने को पूरा करने का निर्णय लिया। उन्होंने उत्तराखंड के रामनगर जिले से निकलकर हिमालय के जंगलों में काम करते हुए पैसे जमा करने की शुरुआत की। वे समय-समय पर विभिन्न पर्वतारोहण ट्रेक के साथ जाते थे।

उन्होंने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उन्हें पर्वतारोहण के लिए उच्च शिक्षा प्राप्त करने की आवश्यकता थी, लेकिन उनके परिवार की आर्थिक स्थिति उन्हें ये अवसर नहीं दे पायी। तेनजिंग ने बाहर से एक छात्रवृत्ति प्राप्त कर अंग्रेजी में उच्च शिक्षा प्राप्त की तेनजिंग ने अपने सपने को पूरा करने के लिए बहुत संघर्ष किया। उन्होंने भारत के अलावा नेपाल, भूटान, सिक्किम, तिब्बत और भारत के उत्तर प्रदेश और उत्तराखंड में विभिन्न पर्वतारोहण एवं रॉक क्लाइम्बिंग एक्सपेडिशन में भाग लिया है। उन्होंने शिवलिक पहाड़ियों, हिमालय, कुमाऊँ के पहाड़, अन्नपूर्णा पर्वत श्रृंखला, किलिमंजारो, एवरेस्ट जैसे शीर्ष पर्वतों पर अपना कदम रखा।

तेनजिंग ने एवरेस्ट समेत विभिन्न पर्वतों पर जाकर अपनी परख के लिए काफी मेहनत की। उन्होंने एवरेस्ट के शीर्ष पर भारत का झंडा फहराया था। इसके अलावा, वे कई अन्य अनुभवों से गुजरे हैं, जैसे कि तिब्बत से दो बार पास लगाने के लिए एवरेस्ट के शीर्ष की ओर नज़र करना एवं भारत-नेपाल सीमा पर एवरेस्ट के चोटी को देखना।

तेनजिंग नोर्गे की अनुभव से जुड़ी कुछ रोचक बातें:

तेनजिंग ने अपनी पहली पर्वतारोहण उम्र 16 वर्ष में की थी। उन्होंने तब भारत-नेपाल सीमा के कुमाऊँ प्रदेश में तलम्बोटा नामक पहाड़ पर चढ़ाई की थी।
उनके पिता ने उन्हें पर्वतारोहण के बारे में पहले से ही प्रेरित किया था। उनका पिता एक बहुत ही अनुभवी पर्वतारोही थे।
तेनजिंग ने अपनी जिंदगी में अपने परिवार को खुश रखने के लिए एक नौकरी भी की थी। उन्होंने एक स्कूल में रोजगार किया था।
तेनजिंग ने 2015 में एवरेस्ट के शीर्ष पर चढ़कर इतिहास रचा था। उन्होंने इस दौरान भारत का झंडा फहराया था।
तेनजिंग ने अपने सपने को पूरा करने के लिए दृढ़ संकल्प की थी। वे कभी भी हिम्मत नहीं हारते थे।

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