क्रिसमस ट्री से दूर भाग जाती है बुरी शक्तियां, जानिये इसके रोचक तथ्य
क्रिसमस ट्री से दूर भाग जाती है बुरी शक्तियां, जानिये इसके रोचक तथ्य
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हर वर्ष 25 दिसंबर को क्रिसमस मनाते है जिसे लेकर प्रदेशभर में साज-सज्जा चल रही है। लोग क्रिसमस सेलिब्रेशन की तैयारियों में जुट गए हैं। हर कोई अपने ढंग से सांता क्लॉज से मिलने को लेकर उत्साहित है। शहर के माँल बाजार सब सज-धज कर तैयार हैं। ये तो रही क्रिसमस सेलिब्रेशन से जुडी जानकारियां लेकिन हम आपको कुछ ऐसे फैक्ट्स बता रहे हैं जिन्हें जानना आपके लिए दिलचस्प होगा। लो क्रिसमस आ गया! हर तरफ खुशियों का माहौल है। गिरजाघर सज गए हैं। बच्चे गिफ्ट के लिए बेताब हैं। कहीं मरियम मैरी की झांकी सजाई जा रही है तो कोई क्रिसमस ट्री को अंतिम रूप दे रहा है। अधिकतर लोगों को यह तो पता होता है कि क्रिसमस पर ट्री को सजाया जाता है लेकिन इसके पीछे बड़ा ऐतिहासिक और धार्मिक महत्व होता है। कहा जाता है कि क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत उत्तरी यूरोप से हुई थी। आईए हम आपको बताते हैं क्रिसमस ट्री से जुड़ी और भी कई खासें बातें और सभ्यताएं...

तो ऐसे शुरू हुई  क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा
प्राचीन सभ्यताओं के लोगों का विश्वास था कि सदाबहार पेड़ की मालाओं, पुष्पहारों, डालियों में जीवन की निरंतरता होती है। उनका मानना था कि इन पौधों को घरों में सजाने से बुरी आत्माएं दूर रहती हैं। जीसस क्राइस्ट का संदेश सुनने के लिए जब सेंट बोनिफेस इंग्लैंड को छोड़कर जर्मनी चले गए थे तब उन्होंने देखा कि कुछ लोग ईश्वर को खुश करने के लिए एक ओक वृक्ष के नीचे एक छोटे बालक की बलि दे रहे थे। यह देखकर सेंट बोनिफेस बहुत दुखी हुए। उन्होंने वह ओक वृक्ष कटवा डाला और उसकी जगह चीड़ का नया पौधा लगवाया, जिसे सेंट बोनिफेस ने प्रभु जीसस क्राइस्ट के जन्म का प्रतीक माना। उनके अनुयायिओं ने उस पौधे को मोमबत्तियों और रंगीन धागों से से सजाया। तभी से क्रिसमस पर क्रिसमस ट्री सजाने की परंपरा चली आ रही है।

क्या आप यह जानते हैं...
- सन 1885 में शिकागो का एक अस्पताल क्रिसमस ट्री की मोमबत्तियों द्वारा आग की चपेट में आ गया था। आग की इस वजह को खत्म करने के लिए रेल्फ मॉरिस ने 1895 में बिजली से जलने वाली क्रिसमस लाइट का आविष्कार किया ताकि क्रिसमस को सुरक्षित बनाया जा सके और कैंडल्स द्वारा आग की संभावनाओं को कम किया जाए सके।

- विक्टोरिया काल में इन पेड़ों पर मोमबत्तियों, टॉफियों और बढिय़ा किस्म के केकों को रिबन और कागज़़ की पट्टियों से पेड़ पर बांधा जाता था। इस पेड़ को घंटियों यानी बेल्स आदि से सजाते हैं, ताकि बुरी आत्माएं दूर रहें। वहीं घर में अच्छाइयों के प्रवेश के लिए एंजेल्स और फेयरी की मूर्तियां लगाई जाती थीं।

- ब्रिटेन में क्रिसमस ट्री सजाने की शुरुआत सन 1830 में मानी जाती है। इंग्लैंड में सन् 1841 में जब क्वीन विक्टोरिया के पति प्रिंस अल्बर्ट ने विंडसर कैसल (महल) में क्रिसमस ट्री को सजाया, तब से क्रिसमस ट्री ब्रिटेन में बहुत लोकप्रिय हो गया और क्रिसमस सेलिब्रेशन का अहम हिस्सा बन गया। ?

- ब्रिटेन की रानी क्वीन विक्टोरिया के समय में क्रिसमस ट्री को कैंडल्स से सजाया जाता था और यह कैंडल्स ईसा मसीह के जन्म के समय को सितारे को दर्शाती थीं।

- यूक्रेन में स्पाइडर यानी मकड़े और उसके बुने हुए जालों से क्रिसमस ट्री को सजाने की प्रथा है। वहां ऐसा माना जाता है कि एक गरीब परिवार के यहां क्रिसमस ट्री पर जाले लगे हुए थे। क्रिसमस की सुबह सूर्य की रोशनी पड़ते ही वे चांदी में बदल गए थे।

- अमेरिका में क्रिसमस ट्री के को सजाने का रिवाज अमेरिका की स्वतंत्रता की लड़ाई के दौरान हुई थी। इसका श्रेय हैसेन ट्रूप्स को दिया जाता है। 

- रोमनवासी प्राचीनकाल में चीड़ के वृक्ष को अपने मंदिर सजाने के लिए उपयोग करते थे। परन्तु जीसस क्राइस्ट को मानने वाले इसे ईश्वर के साथ अनंत जीवन के प्रतीक के रूप में सजाते हैं।

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