आजकल के बच्चे अपने में खोये रहते हैं, न जाने कब कौन सा नेगेटिव विचार उनके दिमाग में आ जाये पता ही नहीं चलता. ऐसे में परिवार के साथ बातचीज खत्म होने पर गलत फैसलों की ओर बढ़ते हैं. आज के दौर में बड़ी समस्या को सिर्फ साथ खाने से दूर किया जा सकता है. साथ खाने से मुश्किल हालातों में भी कम्युनिकेशन बनता है.
अकेले खाते समय बच्चों को कुछ भी असंतुलित और गैर-जरूरी खाने की प्रवृत्ति होती है. लेकिन अगर बच्चे पेरेंट्स के साथ खाना खाएंगे तो ख्याल रखेंगे कि वह स्वस्थ आहार ले रहे हैं या नहीं. साथ में खाएंगे तो ऐसा फूड होगा जो सबकी पसंद का तो हो लेकिन पोषक तत्वों से भरपूर हो. इससे आप बच्चों के बाहर खाना खाने की आदत भी कम कर पाएंगी. इसके अलावा जब आपके बच्चे बड़े होंगे तब वे आपके साथ बिताए हुए मील-टाइम्स कभी नहीं भूलेंगे. उन्हें इस बात का अहसास रहेगा कि परिवार का साथ बैठकर खाना कितना जरूरी है और आगे चलकर वे अपने बच्चों में भी यही आदत डालेंगे. इस तरह आप चाहें तो ये परंपरा एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक जरूर पहुंचेगी.
साथ खाने से बच्चों में टेबल मैनर्स भी डेवलप किए जा सकते हैं. कभी आपने सोचा है क्यों हमें खाने, खाना बनाने, चलने, दौड़ने, लाइफ के ऐसे ही सबक सीखने के लिए किसी स्कूल क्यों नहीं जाना पड़ता. क्योंकि ये सब हम घर पर ही सीखते हैं. बड़े होकर बच्चे ऊंचे मुकाम पाएंगे लेकिन मैनर्स डिनर टेबल पर ही सीखेंगे. बच्चों को इसके लिए किसी पर्सनैलिटी डिवेलपमेंट क्लास में भेजने की जरूरत नहीं होगी. साथ खाते हुए उनमें अच्छी आदतें डाल सकेंगी.