लिव-इन में रहने के मामले में कॉलेज के फैसले को हाइकोर्ट ने ठहराया सही
लिव-इन में रहने के मामले में कॉलेज के फैसले को हाइकोर्ट ने ठहराया सही
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कोल्लम। 20 वर्षीय एक कॉलेज की छात्रा की याचिका को खारिज करते हुए हाइकोर्ट ने कॉलेज के कदम को उचित ठहराया है। कॉलेज ने कॉलेज में पढ़ रहे एक छात्र-छात्रा को लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने के कारण अनिश्चिकाल के लिए सस्पेंड कर दिया था। जिसके बाद युवती ने कॉलेज के फैसले के विरोध में केस कर दिया।

युवती कोल्लम के मारथोमा कॉलेज ऑफ साइंस एंड टेक्नोलॉजी की होनहार छात्रा रही है। छात्रा द्वारा दाखिल की गई याचिका पर सुनावई करते हुए केरल हाइ कोर्ट ने कहा कि प्यार का यह मामला पहला नहीं है, लेकिन परिजनों की जानकारी के बिना ऐसे साथ रहना बहुत बड़ा कदम है। इसके लिए मैनेजमेंट अपने शिक्षण संस्थान को दरकिनार नहीं कर सकता।

छात्रा कॉलेज में अंग्रेजी सब्जेक्ट से अंडर ग्रेजुएशन की पढ़ाई कर रही है। उसके दोस्तों का कहना है कि वो पढ़ाई में बहुत तेज है। अंतिम परीक्षा में उसे 80 फीसदी मार्क्स आए थे। जनवरी में जब कॉलेज प्रशासन के संज्ञान में यह  बात आई थी  कि वो 19 वर्षीय युवक के साथ लिव-इन में रह रही है, तो दोनों को निलंबित कर दिया गया।

दोनों के परिजनों ने इनके लापता होने की रिपोर्ट दर्ज कराई थी। छात्रा ने आरोप लगाया था कि उसे प्यार करने की इतनी बड़ी सजा दी जा रही है। कॉलेज के प्रिंसिपल केसी मैथ्यू ने कहा कि इस फैसले से अनुशासन बनाए रखने में मदद मिलेगी। उन्होंने जोर देकर कहा कि उनके जैसे प्राइवेट कॉलेज के लिए मजबूत छवि जरूरी है।

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