अरूणाचल प्रदेश में राजनीतिक गतिरोध पैदा होने के बाद अब केरल में राजनीतिक गहमा गहमी का माहौल है। जहां कांग्रेस नेतृत्व वाली सरकार ने मुख्यमंत्री ओमान चांडी का सोलर घोटाले में नाम घसीटे जाने पर अपना विरोध जताया तो भाजपा सड़कों पर उतर आई। इस तरह के राजनीतिक माहौल से तिरूवनंतपुरम् में राजनीतिक अस्थिरता के हालात बन गए हैं।
एक ओर तो भाजपा सत्तापक्ष पर भ्रष्टाचार में लिप्त होने का आरोप लगा रही है तो दूसरी ओर कांग्रेस अपने एक राज्य की सत्ता को बचाने के प्रयास में है। यह विवाद इसलिए भी महत्वपूर्ण है क्योंकि अब पंजाब, उत्तरप्रदेश, पश्चिम बंगाल राज्यों में चुनाव में कुछ समय ही है।
हालांकि पश्चिम बंगाल और उत्तरप्रदेश में अभी एक वर्ष का समय शेष है लेकिन कांग्रेस भ्रष्टाचार के मसले पर अभी भी घिरती नज़र आ रही है। जहां मोदी लहर ने कांग्रेस से विभिन्न राज्यों को छिन लिया है वहीं लगता है कि भ्रष्टाचार का दंश कांग्रेस को उबरने नहीं देगा। हाशिये पर जा चुकी कांग्रेस के लिए कांग्रेस उपाध्यक्ष राहुल गांधी कई बार प्रयास कर रहे हैं लेकिन कोयले की कालिख और टूजी स्पेक्ट्रम जैसे घोटालों के फेर में फंसी कांग्रेस को उबरने का अवसर नहीं मिल रहा है।
देश में कांग्रेस को मजबूत करने में लगे राहुल बाबा के लिए यह निराशाजनक हो सकता है जबकि अपने भाषणों से चुनावों का रूख मोड़ देने वाले प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को भाषण के लिए चांडी का गरम मसाला मिल गया है। यूं भी कांग्रेस भाजपा के खिलाफ खोले गए भ्रष्टाचार के मसले पर पूरी तरह से सफल नहीं हो पाई है।
न तो ललित मोदी गेट कांड कांग्रेस को वैसी सफलता दे सका और न ही व्यापमं. मसला मोदी और शिवराज की सरकार को हिला पाया है। हालांकि ये दोनों मसले भाजपा सरकारों के लिए मुश्किल कर सकते हैं लेकिन कांग्रेस इन अस्त्रों को साथ में रखने के बाद भी सटिक राजनीतिक वार नहीं कर पाई है।
ओमान चांडी के खिलाफ भ्रष्टाचार का मसला मिलने के बाद भाजपा को दक्षिण भारत में अपने लिए भविष्य का एक अवसर मिलता दिखाई दे रहा है। हालांकि यहां भाजपा के लिए कांग्रेस और क्षेत्रीय दल बराबर मुश्किल कर सकते हैं। मगर सोलर स्कैम से देश की राजनीति फिर गर्मा गई है। इस बार राजनीति को भ्रष्टाचार के मसले से एक नया आयाम मिला है।