'भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है काशी', BHU के कार्यक्रम में बोले PM मोदी
'भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है काशी', BHU के कार्यक्रम में बोले PM मोदी
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वाराणसी: पीएम नरेंद्र मोदी अपने वाराणसी दौरे के दूसरे दिन शुक्रवार प्रातः काशी हिंदू यूनिवर्सिटी पहुंचे। उन्होंने यहां स्वतंत्रता भवन में आयोजित समारोह में काशी सांसद संस्कृत प्रतियोगिता के टॉपर्स को सर्टिफिकेट वितरित किया। उनके साथ उत्तर प्रदेश के सीएम योगी आदित्यनाथ एवं भारतीय जनता पार्टी प्रदेश अध्यक्ष भूपेंद्र चौधरी भी समारोह में उपस्थित रहे। पीएम मोदी ने इस कार्यक्रम के चलते सांसद फोटोग्राफी प्रतियोगिता, सांसद संगीत प्रतियोगिता, सांसद ज्ञान प्रतियोगिता सहित अन्य श्रेणियों में आयोजित प्रतियोगिताओं के विजेताओं को प्रमाणपत्र व मेडल दिए। उन्होंने अपने संबोधन का आरम्भ 'नमः: पार्वती पतये हर हर महादेव' के साथ किया। उन्होंने कहा कि काशी तो सर्वविद्या की राजधानी है, आज काशी का वो सामर्थ्य एवं स्वरूप​ फिर से संवर रहा है। ये पूरे भारत के लिए गौरव की बात है। बीते 10 सालों में काशी में विकास के जो कार्य हुए हैं, उसके बारे में संपूर्ण जानकारी पर आज यहां दो बुक भी लॉन्च की गई है। बीते 10 सालों में काशी ने विकास की जो यात्रा निर्धारित की है, उसके हर पड़ाव एवं यहां की संस्कृति का वर्णन इन पुस्तकों में किया गया है।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम सब तो निमित्त मात्र हैं, काशी में करने वाले तो महादेव हैं। जहां महादेव की कृपा हो जाती है, वह धरती ऐसे ही संपन्न हो जाती है। काशी सिर्फ हमारी आस्था का तीर्थ ही नहीं है, ये भारत की शाश्वत चेतना का जाग्रत केंद्र है। उन्होंने कहा, 'एक वक़्त था, जब भारत की समृद्धि गाथा पूरे विश्व में कही जाती थी। इसके पीछे भारत की सिर्फ आर्थिक ताकत ही नहीं थी। इसके पीछे हमारी सांस्कृतिक समृद्धि भी थी, सामाजिक एवं आध्यात्मिक समृद्धि भी थी। काशी जैसे हमारे तीर्थ और विश्वनाथ धाम जैसे हमारे मंदिर ही राष्ट्र की प्रगति की यज्ञशाला हुआ करती थीं। यहां साधना भी होती थी एवं शास्त्रार्थ भी होते थे। यहां संवाद भी होते थे तथा शोध भी होते थे। यहां संस्कृति के स्रोत भी थे और साहित्य संगीत की सरिताएं भी थीं'।

पीएम नरेंद्र मोदी ने BHU में आयोजित सांसद संस्कृत प्रतियोगिता पुरस्कार वितरण कार्यक्रम के चलते अपने संबोधन में कहा कि काशी शिव की भी नगरी है, ये बुद्ध के उपदेशों की भी भूमि है। काशी जैन तीर्थंकरों की जन्मस्थली भी है तथा आदि शंकराचार्य को भी यहां से बोध मिला था। पूरे देश से और दुनिया के कोने-कोने से भी ज्ञान, शोध एवं शांति की तलाश में लोग काशी आते हैं। हर प्रांत, हर भाषा, हर बोली, हर रिवाज के लोग काशी आकर बसे हैं। जिस जगह पर ऐसी विविधता होती है, वहीं नए विचारों का जन्म होता है। काशी तमिल संगमम एवं गंगा पुष्करालु महोत्सव जैसे एक भारत श्रेष्ठ भारत अभियानों का भी विश्वनाथ धाम भाग बना है। नई काशी नए भारत की प्रेरणा बनकर उभरी है। मैं आशा करता हूं कि यहां से निकले युवा पूरे विश्व में भारतीय ज्ञान परंपरा तथा संस्कृति के ध्वजवाहक बनेंगे।

प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हमारे ज्ञान, विज्ञान एवं आध्यात्म के उत्थान में जिन भाषाओं का सबसे बड़ा योगदान रहा है, संस्कृत उनमें सबसे प्रमुख है। भारत एक विचार है, संस्कृत उसकी प्रमुख अभिव्यक्ति है। भारत एक यात्रा है, संस्कृत उसके इतिहास का प्रमुख अध्याय है। भारत विविधता में एकता की भूमि है, संस्कृत उसका उद्गम है। अगले 5 सालों में देश इसी आत्मविश्वास से विकास को नई रफ्तार देगा, देश सफलताओं के नए प्रतिमान गढ़ेगा तथा ये मोदी की गारंटी है। और काशी के लोगों से अच्छा कौन जानेगा कि मोदी की गारंटी मतलब गारंटी पूरी होने की गारंटी। काशी तो संवरने वाला है।।। रोड़ भी बनेंगे, ब्रिज भी बनेंगे, भवन भी बनेंगे किन्तु मुझे तो यहां जन जन को संवारना है, हर मन को संवारना है और एक सेवक बनकर संवारना है, साथी बनकर संवारना है। 

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