करवा चौथ व्रत और मुहूर्त
करवा चौथ व्रत और मुहूर्त
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आज दिन रविवार 8 अक्टूबर को देश भर में करवा चौथ मनाया जायेगा. करवा चौथ का व्रत महिलायें अपने सुहाग की लम्बी उम्र और उनके स्वास्थ की कामना के लिए रखती हैं. कई जगहों पर कुंवारी कन्याएं भी इस व्रत को रखती हैं ताकि उन्हें इच्छानुसार जीवन साथी मिले. ये तो बात हुई करवा चौथ के व्रत की, लेकिन भारतीय सभ्यता में हर काम को करने का एक शुभ मुहूर्त होता है. यहाँ चाहे व्रत हो, पूजा अर्चना हो, कोई कार्य करना हो हर चीज़ के लिए शुभ मुहूर्त देखा जाता है. तो इस व्रत का मुहूर्त हम आपको बताते हैं.

करवा चौथ पूजा मुहूर्त- शाम 05:55 से 07:09 बजे तक

चंद्रोदय- 08:14 

चतुर्थी तिथि आरंभ- शाम 04:58 (8 अक्टूबर),  चतुर्थी तिथि समाप्त- दोप. 02:16 (9 अक्टूबर)

व्रत की विधि:-

सबसे पहले घर की दीवार पर गेरू से फलक बना लें अब चावल के घोल से करवा का चित्र बनाये. आपको बता दें इसे वर कहा जाता है और उसे बनाने को करवा धरना कहते हैं. अब पूजा के लिए आठ पूरियां बना लें, इसे अठवारी कहते हैं. इसके साथ-साथ हलुआ और पकवान भी बना लें.

इसके बाद पीली मिटटी से माता गौरी और भगवान गणेश को बनाकर भगवान गणेश को माता गौरी की गोद में बिठा दें. माता गौरी को लकड़ी के आसान पर चौक पूर कर विराजमान करें. अब माता गौरी को सुहाग सामग्री जैसे बिंदी, चूड़ी, सिन्दूर और चुनरी चढ़ाएं. अब जल से भरा लोटा रखें.

अब नलनुमा एक करवा लें उसमे गेंहू और उसके ढक्कन में शक्कर का बूरा भरें, उसमे दक्षिणा रखें. अब इस करवे पर रोली से स्वस्तिक बनायें और माता गौरी को भेंट चढ़ाएं. इसके बाद माता गौरी और करवा के चित्र की विधि-विधान से परम्परानुसार पूजा कर पति की लम्बी उम्र की प्रार्थना करें.

पूजा करते वक़्त 'नमः शिवायै शर्वाण्यै सौभाग्यं संतति शुभाम्‌। प्रयच्छ भक्तियुक्तानां नारीणां हरवल्लभे॥' इस मंत्र का उच्चारण करें और साथ ही पति की लम्बी उम्र और अच्छे स्वस्थ की प्रार्थना करें. करवा चौथ की कथा सुनने या पढ़ने से पूर्व करवा पर 13 बिंदी और गेंहू या चावल के 13 दाने रखें. कथा पूरी होने के बाद करवा को हाथ से चारों ओर प्रदिक्षणा दें फिर सासु माँ से आशीर्वाद लें और करवा उन्हें दे दें.

अब रात में चन्द्रमा निकलने के पश्चात 13 गेंहू के दाने और पानी का लोटा लेकर रख लें. अब छलनी से चाँद को देखे और उसे अर्घ्य अर्पित करें. चन्द्रमा को अर्घ्य अर्पित करने के बाद पति की आरती उतारें और फिर उनका आशीर्वाद लें. इसके बाद उन्हें भोजन कराएं फिर अपना व्रत खोलें और स्वयं भोजन ग्रहण करें.

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क्या आपका भी यह पहला करवा चौथ है? अगर हां तो पढ़ें यह खबर

 

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