कमलनाथ सरकार ने बनाया पानी का अधिकार कानून, खर्च करेगी 1000 करोड़
कमलनाथ सरकार ने बनाया पानी का अधिकार कानून, खर्च करेगी 1000 करोड़
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भोपाल: मध्य प्रदेश का बड़ा हिस्सा प्रति वर्ष पानी के संकट से जूझता है और लोगों को पानी की तलाश में कई-कई किमी का सफर तय करना होता है. इन हालातों से मुक्ति दिलाने के उद्देश्य से राज्य सरकार 'जल का अधिकार' कानून बनाने जा रही है. इसके जरिए प्रत्येक व्यक्ति को पीने का पानी प्राप्त करने का अधिकार मिल जाएगा. इसके लिए सरकार ने इस वर्ष बजट में 1000 करोड़ रुपये का प्रावधान किया है.

प्रदेश में प्रति वर्ष जल संकट गहराता है. इस वर्ष की स्थिति पर ध्यान दें तो राज्य के 52 जिलों में से 35 जिलों में जल संकट की मार रही. तालाब, कुओं से लेकर अन्य जल संरचनाओं में भी पानी नहीं बचा है. शहरी और ग्रामीण इलाकों में पानी की अनुपलब्धता बड़ी दिक्कत है. इसके कारण लोगों को पानी का इंतजाम करने के लिए कई-कई घंटों का समय बर्बाद करने के साथ ही कई-कई किलोमीटर का सफर तय करना पड़ता है. 

आंकड़े बताते हैं कि, इस वर्ष राज्य में तक़रीबन 4,000 ऐसे गांव थे जहां लोगों को पानी की किल्लत से जूझना पड़ा था. यही हाल शहरी इलाकों का भी रहा. जून महीने में राज्य के 146 नगरीय निकाय ऐसे थे जहां नियमित तौर पर हर दिन पानी की आपूर्ति नहीं हो पा रही थी. प्रदेश के 378 नगरीय क्षेत्रों में से 32 नगरीय निकायों में टैंकरों से पानी पहुंचाया गया, तो 96 नगरीय क्षेत्रों में एक दिन, 28 में दो दिन और एक नगरीय निकाय में तीन दिन के अंतराल से जल की पूर्ति की गई.

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