ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा बयान, कहा- देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है यह स्‍थान
ज्योतिरादित्य सिंधिया का बड़ा बयान, कहा- देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है यह स्‍थान
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भोपाल: पूर्व केंद्रीय मंत्री और राज्‍यसभा सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया 25 अगस्त 2020 को पहली बार नागपुर स्थित संघ मुख्यालय पहुंच चुके. BJP में शामिल होने के उपरांत उनकी यह पहली यात्रा थी और जिससे यह संदेश भी प्रसारित किया जाएगा अब श्रीमंत राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ और बीजेपी में पूरी तरह से बस चुके है. निकट भविष्य में मप्र विधानसभा की 27 सीटों पर होने वाले उपचुनाव की वजह से भी सिंधिया के इस दौरे को बहुत महत्वपूर्ण कहा जा रहा है.  

नागपुर पहुंचे ज्योतिरादित्य ने संघ में जताई आस्था: बीजेपी की सदस्यता ग्रहण करने के तकरीबन 5 महीने के उपरांत सिंधिया की इस यात्रा के निहितार्थ निकाले जाने वाले है. कांग्रेस से जनसंघ में मौजूद होने के उपरांत ज्योतिरादित्य की दादी राजमाता विजयाराजे सिंधिया का भी संघ से बहुत मजबूत रिश्ता बन चुका है. जंहा इस बता का पता चला है कि ज्योतिरादित्य सिंधिया ने नागपुर पहुंचकर RSS के संस्थापक डॉ बलिराम केशव हेडगेवार के निवास और रेशमबाग स्थित हेडगेवार स्मृति मंदिर में मत्था टेका. 

देश की सेवा के लिए समर्पित है आरएसएस: सिंधिया ने बोला भी है कि यह केवल एक स्थान नहीं, बल्कि प्रेरणा स्थल है. उन्होंने RSS जैसे संगठन का गठन किया जो देश की सेवा के लिए समर्पित कर रहे है. यह स्थान देश सेवा के लिए ऊर्जा प्रदान करता है. एक दिनी नागपुर दौरा सिंधिया 25 अगस्त 2020 को नागपुर के एक दिवसीय दौरे पर थे. सिंधिया की इस यात्रा को इसलिए भी बहुत अहम् कहा जा रहा है, क्योंकि बीजेपी के कई दिग्गज नेता सिंधिया समर्थक मंत्रियों और पूर्व MLA की उपचुनाव में उम्मीदवारी का विरोध कर रहे हैं. आने वाले उपचुनाव में कहीं कोई अवरोध न हो, इसके लिए भी उनकी कोशिश चल रही है. 

मैं भाजपा का कार्यकर्ता, कांग्रेस के मामलों में नहीं बोल सकता: बीजेपी सांसद ज्योतिरादित्य सिंधिया ने 25 अगस्त 2020 को कांग्रेस में नेतृत्व को लेकर चल रहे विवाद पर कुछ भी बोलने से  मना कर दिया. उन्होंने कहा कि मैं बीजेपी का कार्यकर्ता हूं. किसी पार्टी के अंदरूनी केसों में हस्तक्षेप करना ठीक नहीं होगा.गौरतलब है कि 20 से ज्यादा समर्थित विधायकों के साथ वह इसी साल मार्च में कांग्रेस का दामन छोड़ बीजेपी पार्टी से जुड़ गए. उनके इस कदम से मध्य प्रदेश की कमलनाथ सरकार सत्ता से बाहर हो गई थी और वहां बीजेपी की सरकार बन गई.

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