सूरजकुंड: दिल्ली NCR में प्रदूषण फैलाने के लिए बदनाम 'पराली' सूरजकुंड मेले में काफी नाम कमा रही है। जम्मू कश्मीर के कठुआ जिले से मेले में पहुंचे शिल्पकार पराली से घरेलू इस्तेमाल में आने वाली सामग्री बना रहे हैं। जिसमें बैठने के लिए आसन, लेटने के लिए चटाई, पहनने के लिए चप्पल और सामग्री रखने के लिए टोकरी भी शामिल है। घाटी की शिल्पकार महिलाओं ने यह साबित कर दिया है कि पराली समस्या नहीं समाधान है। इसे जलाओ मत बल्कि इस्तेमाल करो।
पराली से बने बेहद खूबसूरत और आकर्षक उत्पाद मेले में पहुंच रहे पर्यटकों को काफी पसंद आ रहे हैं और ये सब कुछ पराली ना जलाने की शिक्षा भी दे रहा है। जम्मू कश्मीर के कठुआ क्षेत्र से पहली दफा मेले में पहुंचे लोगों ने बताया है कि उनके इलाके की महिलाएं ऐसा हुनर जानती हैं, जिसका इस्तेमाल उन्होंने पराली पर किया है। पराली से महिलाओं ने घरेलू उपयोग में आने वाले कई उत्पाद बनाकर तैयार किए हैं।
इन उत्पादों को पर्यटक भी जमकर पसंद कर रहे हैं और ग्रामीण महिलाओं को भी प्रोत्साहन मिल रहा है। इसके साथ ही 'मेक इन इंडिया' और 'मेड इन इंडिया' का ख्वाब भी पूरा हो रहा है। बस उन्हें उम्मीद है कि जम्मू कश्मीर सरकार और हरियाणा सरकार इस कला को बड़े पैमाने पर लेकर आए और गांव-गांव में महिलाओं को इस हुनर को सिखाने का कार्य किया जाए।
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