'ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने बार-बार समझौते तोड़े हैं', एस. जयशंकर की चीन को खरी-खरी
'ऐसे देश के साथ सामान्य होने की कोशिश करना बहुत कठिन है जिसने बार-बार समझौते तोड़े हैं', एस. जयशंकर की चीन को खरी-खरी
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नई दिल्ली: विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि 2020 में गलवान में हुई हिंसा के पश्चात् से भारत एवं चीन के बीच संबंध असामान्य स्थिति में हैं। इतना ही नहीं एस जयशंकर ने कहा कि बार बार रिश्ते तोड़ने वाले देश के साथ सामान्य होने का प्रयास करना बहुत मुश्किल है। उन्होंने कहा कि दुनिया के दो सबसे बड़े देशों के बीच इस प्रकार का तनाव हो, तो इसका प्रभाव हर किसी पर पड़ेगा। विदेश मंत्री जयशंकर ने यह बात काउंसिल ऑन फॉरन रिलेशन में भारत चीन संबंधों को लेकर पूछे गए एक प्रश्न के उत्तर में कही। उन्होंने, आप जानते हैं, चीन के साथ व्यवहार करने का आनंद यह है कि वे आपको कभी नहीं बताते कि वे ऐसा क्यों करते हैं? इसलिए आप अक्सर इसका पता लगाने का प्रयास करते हैं। और यह हमेशा होता है, वहां कुछ अस्पष्टता बनी रहती है। जयशंकर ने कहा, ऐसे देश के साथ सामान्य होने का प्रयास करना बहुत मुश्किल है जिसने समझौते तोड़े हैं तथा जिसने वो किया, जो करता रहा है। इसलिए अगर आप बीते 3 वर्षों को देखें, तो यह एक बहुत ही असामान्य स्थिति है।  उन्होंने कहा, संपर्क बाधित हो गए हैं, यात्राएं नहीं हो रही हैं। हमारे बीच निश्चित तौर पर उच्च स्तर का सैन्य तनाव है। इससे भारत में चीन के प्रति धारणा पर भी प्रभाव पड़ा है। 

जयशंकर ने कहा, इसलिए मुझे लगता है कि वहां एक तात्कालिक मुद्दा एवं साथ ही एक मध्यम अवधि का मुद्दा भी है, संभवतः मध्यम अवधि के मुद्दे से भी लंबा। विदेश मंत्री ने दिल्ली एवं बीजिंग के बीच संबंधों पर एक ऐतिहासिक परिप्रेक्ष्य का जिक्र किया तथा कहा कि यह कभी सरल नहीं रहा। उन्होंने कहा, हमारे बीच 1962 में युद्ध हुआ। तत्पश्चात, सैन्य घटनाएं हुईं, मगर 1975 के पश्चात्, सीमा पर कभी भी युद्ध में मौत नहीं हुई, 1975 आखिरी बार था। 1988 में जब तत्कालीन पीएम राजीव गांधी चीन गए, तो भारत ने संबंधों को अधिक सामान्य बनाया। आगे जयशंकर ने बताया कि 1993 एवं 1996 में भारत ने सीमा को स्थिर करने के लिए चीन के साथ दो समझौते किए, जो विवादित हैं, उन्हें लेकर बातचीत चल रही है। उन्होंने कहा कि इस बात पर सहमति हुई कि न तो भारत और न ही चीन LAC पर सेना एकत्र करेगा तथा अगर कोई भी पक्ष एक निश्चित संख्या से ज्यादा सैनिक लाता है, तो वह दूसरे पक्ष को सूचित करेगा। जयशंकर ने कहा कि उसके पश्चात् कई समझौते हुए तथा यह एक बहुत अनोखी स्थिति थी, क्योंकि सीमा क्षेत्रों में, दोनों प्रकार के सैनिक अपने तय सैन्य ठिकानों से बाहर आएंगे, गश्त करेंगे और अपने ठिकानों पर लौट आएंगे। यदि कहीं दोनों देशों के सैनिकों के बीच टकराव होता, तो इसे लेकर स्पष्ट नियम थे कि कैसा बर्ताव किया जाएगा तथा हथियारों का उपयोग निषिद्ध था। 2020 तक ऐसी ही स्थिति रही। 

उन्होंने कहा, 2020 में जब भारत में सख्त कोरोना लॉकडाउन चल रहा था, हमने देखा कि बहुत बड़े आंकड़े में चीनी सैनिक वास्तविक नियंत्रण रेखा की तरफ बढ़ रहे थे। तो इन सबके बीच हमें भी जवाबी तैनाती करनी थी, जो हमने किया। तथा फिर हमारे सामने एक ऐसी स्थिति थी जहां हम स्वाभाविक रूप से चिंतित थे कि सैनिक अब बहुत करीब आ गए थे। जयशंकर ने कहा, हमने चीनियों को बताया था कि ऐसी स्थिति समस्याएं पैदा कर सकती है तथा निश्चित तौर पर जून 2020 के मध्य में ऐसा हुआ। जयशंकर ने कहा कि चीनी पक्ष ने विभिन्न समयों पर अलग-अलग स्पष्टीकरण दिए किन्तु उनमें से कोई भी वास्तव में मान्य नहीं है। तब से हम डिसइंगेज करने का प्रयास कर रहे हैं। हम इसमें काफी हद तक सफल भी हुए हैं। जयशंकर ने कहा, अब इसने जो किया है, उसने एक प्रकार से रिश्ते को पूरी तरह से प्रभावित कर दिया है क्योंकि ऐसे देश के साथ सामान्य होने का प्रयास करना बहुत मुश्किल है जिसने समझौते तोड़े हैं। 

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