कोलकाता: पश्चिम बंगाल के फुरफुरा शरीफ दरगाह के पीर मौलाना अब्बास सिद्दीकी सियासी रूप से बेहद महत्वाकांक्षी माने जाते हैं। बंगाल में इनके फॉलोवर्स बड़ी संख्या में हैं। मौलाना अब्बास सिद्दीकी की पार्टी इंडियन सेक्युलर फ्रंट (ISF) पश्चिम बंगाल की 294 विधानसभा सीटों के चुनाव में कांग्रेस और वामपंथियों के साथ मिलकर 30 सीटों पर चुनाव लड़ रही है।
एक साक्षात्कार के दौरान मौलाना सिद्दीकी ने कहा कि, “मैं सिर्फ मुसलमानों को नहीं, बल्कि सभी गरीबों और वर्तमान राजनीतिक ढाँचे से खुद को ठगा महसूस कर रहे लोगों को संबोधित कर रहा हूँ। मैं उन सभी के साथ गठबंधन को तैयार था, जो मेरी शर्तों को मानने के साथ मुझे सीटें देता, किन्तु ममता बनर्जी राजी नहीं हुईं, जबकि कांग्रेस और लेफ्ट फ्रंट ने मेरी शर्तों को माना।” बता दें कि मौलाना सिद्दीकी का पश्चिम बंगाल में बड़ा वर्चस्व है। राज्य के कम से कम पाँच जिलों, उत्तर और दक्षिण परगना, हावड़ा, हुगली, नादिया और पूर्वी मिदनापुर के कुछ हिस्सों तक में उन्हें मानने वाले भारी संख्या में हैं।
सिद्दीकी ने आगे कहा कि, “ममता बनर्जी के कामों की वजह से भाईचारे का अंत हो रहा है। प्रशासन ने मुहर्रम के चलते दुर्गा विसर्जन को रोक दिया था। इसकी माँग किसने की? कहा गया था कि इमामों को 2,500 रुपए दिए जाएंगे, किन्तु इस बात का खुलासा नहीं किया गया कि वो धन वक्फ बोर्ड से आया था। जब ममता का जनाधार खिसकने लगा, तो उन्होंने मंदिरों के पुजारियों को भी पैसे देने की बात कही। हम सिर्फ वही चाहते हैं, जो संविधान द्वारा प्रदत्त अधिकार हैं। इस तरह की राजनीति के कारण सबसे बड़ा नुकसान यह हुआ है कि समुदायों के बीच भाईचारे को नुकसान हुआ है।''
“The administration stalled Durga Visarjan because of Muharram. Who demanded this? Not us. @AITCofficial’s politics spoilt the ‘bhaichara’ between communities,” says Abbas Siddique of Furfura Sharif to me - https://t.co/ABDWVYM7di
— Nistula Hebbar (@nistula) April 14, 2021
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