सुत्ता सार में 10,000 से अधिक बौद्ध शिक्षाओं का संकलन है
सुत्ता सार में 10,000 से अधिक बौद्ध शिक्षाओं का संकलन है
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सुत्तासार या सुत्ता पिताका बौद्ध धर्म की मुख्य धार्मिक पुस्तक मानी जाती है। सुत्ता पिताका “त्रिपिताका” के प्रथम तीन भागों का संकलन है। सुत्ता सार में 10,000 से अधिक सुत्ता या बौद्ध शिक्षाओं का संकलन है।

सुत्तासार का इतिहास
सुत्तासार मुख्य रूप से बुद्ध की मृत्यु के बाद की घटनाओं का वर्णन करती है। इस किताब में बुद्ध की मृत्यु के बाद बौद्ध धर्म के हुए सम्मेलनों और उसमें किए गए निर्णयों के विषय में संक्षेप में लिखा गया है।

सुत्तासार को पांच भागों में बांटा गया है
 
दीघ निकाय या बड़े प्रवचन: इस भाग में प्रगतिशील जीवन की रूपरेखा, मन के विचारों, बुद्ध के अंतिम दिनों आदि का वर्णन है। इस भाग में 34 लंबे सुत्ता यानि प्रवचन हैं।
 
मज्झिम निकाय: इस भाग में 152 मध्यम प्रवचनों का संग्रह है। इस भाग में काम, मन और तन की शांति आदि के विषय में वर्णन किया गया है।
 
सम्युत्ता निकाय: इस भाग में छोटे प्रवचनों को शामिल किया गया है। इस भाग में बौद्ध धर्म के इतिहास की विभिन्न घटनाओं का वर्णन है। 

अंगुत्तरा निकाय: इस भाग में विभिन्न पदों द्वारा महात्मा बुद्ध और उनके शिष्यों के बीच हुए वार्तालाप और शिक्षाओं का वर्णन है। 

खुद्दका निकाय: यह भाग बेहद रोचक है। इस भाग में महात्मा बुद्ध की शिक्षाओं को लयबद्ध रूप में पेश किया गया है।

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