तेहरान : ईरान की संसद ने मंगलवार को तेहरान और विश्व शक्तियों के बीच पूर्व में हुए एक समझौते -संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए)- के क्रियान्वयन के प्रस्ताव को मंजूरी दे दी है। ईरानी संसद (मजलिस) में प्रस्ताव पर मतदान कराया गया, जो 14 जुलाई को कुछ शर्तो सहित पी5 प्लस1 देशों के साथ किए गए परमाणु समझौते को स्वेच्छा से लागू करने के लिए प्रशासन को अनुमति देगा। ईरानी संसद में मतदान के समय 250 सांसद मौजूद थे। प्रस्ताव के पक्ष में 161 ने मत दिया, 59 इसके खिलाफ थे और 13 मतदान के समय अनुपस्थित थे।
प्रस्ताव की रूपरेखा को मजलिस ने सोमवार को ही मंजूरी दे दी थी। प्रस्ताव के प्रावधानों में कुछ दायित्व तय किए गए हैं, जिन पर प्रशासन जेसीपीओए लागू करते समय विचार करेगा। देश के शीर्ष नेता अयातुल्लाह सैयद अली खामेनी द्वारा जारी फतवे के आधार पर प्रस्ताव के अनुच्छेद एक में सरकार पर परमाणु हथियारों के प्रयोग या उत्पादन पर प्रतिबंध लगाया गया है। साथ ही इसमें ऐसे हथियारों के प्रयोग को रोकने को लक्षित अंतर्राष्ट्रीय और क्षेत्रीय प्रयासों में प्रशासन की भागीदारी की बात भी की गई है। राजनीतिक टीकाकारों का मत है कि कोई गांरटी नहीं है कि अमेरिका जेसीपीओए के अधीन अपनी प्रतिबद्धताओं का पालन करेगा।
मिडिया ने एक राजनीतिक टीकाकार रेंडी शॉर्ट के बयान के हवाले से कहा है, अमेरिकी पक्ष की ओर से कोई वास्तविक आश्वासन नहीं मिला है कि वे इस समझौते का सम्मान करेंगे। रेंडी के मुताबिक, जब अमेरिका अपने संविधान का मान नहीं रख सकता तो मैं क्यों मानूं कि वे अपने समझौतों पर कायम रहेंगे। हमने उन्हें वियतनाम के मामले में भी इसका उल्लंघन करते देखा है। हालांकि ईरानी अधिकारियों ने पहले ही स्पष्ट कर दिया है कि समझौते के उल्लंघन की स्थिति में इस्लामिक गणतंत्र को अधिकार होगा कि वह जेसीपीओए समझौते से पूर्व की तरह ही अपनी शांतिपूर्ण परमाणु गतिविधियां फिर से शुरू कर दें।
मध्य जुलाई में ईरान और संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद के पांच स्थायी सदस्यों - अमेरिका, ब्रिटेन, फ्रांस, चीन और रूस- के अतिरिक्त जर्मनी ने ऑस्ट्रिया की राजधानी वियना में संयुक्त व्यापक कार्य योजना (जेसीपीओए) समझौते को अंतिम रूप दिया था। जेसीपीओए के तहत ईरान अपनी परमाणु गतिविधियां सीमित करेगा और इसके एवज में उसके खिलाफ लागू आर्थिक और वित्तीय प्रतिबंध हटा लिए जाएंगे।